Petroleum Engineering –  ये प्लास्टिक बैग, नैप्थलीन की गोलियां, पॉलीयूरेथिन - ये सब Petroleum products हैं। बाक़ी Petrol, Diesel, Gasoline, LPG, PNG (Piped Natural Gas), Kerosene, Petroleum Jelly ये सब तो common Petroleum products हैं ही। तो ये सभी products आप तक पहुँचते हैं - Petroleum Engineering के ज़रिए। और आज के इस  पोस्ट में यही discuss करने वाले हैं हम। इसलिए इसे अंत तक जरुर देखे.

Petroleum Engineering in hindi पेट्रोलियम इंजीनियरिंग

Petroleum Engineering in hindi पेट्रोलियम इंजीनियरिंग

Petroleum Engineering –  ये प्लास्टिक बैग, नैप्थलीन की गोलियां, पॉलीयूरेथिन – ये सब Petroleum products हैं। बाक़ी Petrol, Diesel, Gasoline, LPG, PNG (Piped Natural Gas), Kerosene, Petroleum Jelly ये सब तो common Petroleum products हैं ही। तो ये सभी products आप तक पहुँचते हैं – Petroleum Engineering के ज़रिए। और आज के इस  पोस्ट में यही discuss करने वाले हैं हम। इसलिए इसे अंत तक जरुर पड़े .

Petroleum Engineering in hindi

सब्जी लेते हुए दुकानदार से प्लास्टिक बैग मांगना अलमारी में कपड़े रखते हुए उनमें नेप्थलीन की गोलियां रखना ये कुछ कॉमन ह्यूमन हैबिट्स है वैसे आपके घर पर यूज हो रहे मैट्रेस और पिलोज में पॉली यूरिथल नाम का एक कंपोनेंट होता है आपने हो सकता है इसका नाम भी सुना हो अब आप सोच रहे होंगे ये क्या पहेलियां बुझा रही है तो ये पहेलियां नहीं ये प्लास्टिक बैग नेप्थलीन की गोलियां पॉली रेथिन ये सब पेट्रोलियम प्रोडक्ट्स है बाकी पेट्रोल डीजल गैसोलीन एलपीजी पीएनजी केरोसीन पेट्रोलियम जेली यह सब तो कॉमन पेट्रोलियम प्रोडक्ट्स है ही तो यह सभी प्रोडक्ट्स आप तक पहुंचते हैं

पेट्रोलियम इंजीनियरिंग के जरिए और आज यही डिस्कस करने वाले हैं हम वेलकम टू थारेड  इंडिया का मोस्ट लवेबल इंफॉर्मेशन है पेट्रोलियम इंजीनियर्स को जियोलॉजिस्ट की टीम के साथ काम करना होता है ताकि पेट्रोलियम की सेफ रिकवरी प्रोसेसिंग ट्रांसपोर्टेशन ट्रांसमिशन और यूटिलाइजेशन किया जा सके इसके लिए पेट्रोलियम इंजीनियर्स में प्रोजेक्ट मैनेजमेंट प्रोजेक्ट इकोनॉमिक्स और पर्यावरण पर पड़ने वाले इसके असर को आंकने की काबिलियत भी होनी चाहिए 

दुनिया भर की एनर्जी और नॉन एनर्जी कंपनीज किसी भी दूसरी इंजीनियरिंग डिसिप्लिन के मुकाबले पेट्रोलियम इंजीनियर्स को ज्यादा सैलरी पे करती है पेट्रोलियम इंजीनियरिंग की नीव पड़ी थी 

1890 के दशक में कैलिफोर्निया यूएसए में जब जियोलॉजिस्ट या भू वैज्ञानिकों की एक टीम को ऑयल प्रोडक्शन फील्ड और रिजर्वॉयर एरियाज को एक कुएं से दूसरे कुए में जोड़ने के लिए नियुक्त किया गया था ताकि पानी को तेल उत्पादक क्षेत्रों में घुसने से रोका जा सके तब इस टेक्नोलॉजी को बढ़ावा देने के लिए अमेरिकन इंस्टिट्यूट ऑफ माइनिंग एंड मेटालर्जिकल इंजीनियर्स ने एक टेक्निकल कमेटी ऑन पेट्रोलियम बनाई थी 

आगे चलकर 1914 में स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी ने पेट्रोलियम स्टडीज को अपने करिकुलम में जोड़ा वहीं यूनिवर्सिटी ऑफ पिट्सबर्ग ने 1915 में पेट्रोलियम इंजीनियरिंग की डिग्री शुरू की यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया ने भी अपने यहां 1915 में 4 साल का करिकुलम इन पेट्रोलियम इंजीनियरिंग चालू किया और इस तरह यूनाइटेड स्टेट्स के साथ-साथ दुनिया भर में पेट्रोलियम इंजीनियरिंग की पॉपुलर बढ़ी 

अब जरा डिटेल में समझते हैं एक पेट्रोलियम इंजीनियर करता क्या है तो मेनली पेट्रोलियम इंजीनियर्स का फोकस होता है गैस एंड ऑयल के भंडार की स्टडी करना उनका आ लन करना और कंपनी के लिए प्रॉफिटेबिलिटी कैलकुलेट करना रिजर्वॉयर की खोज होने के बाद इंजीनियर्स उसका मैप तैयार करते हैं और यह समझते हैं कि कहां से एनर्जी रिसोर्स को निकाला जा सकता है और कहां तेल का कुआं बनाना सही रहेगा सेफ्टी और एनवायरमेंटल स्टैंडर्ड्स का ध्यान रखते हुए इन्हें यह भी हिसाब लगाना होता है कि मिनिमम इकोनॉमिक कॉस्ट पे ऑयल प्रोडक्शन कैसे किया जाए इसके लिए हाई एंड कंप्यूटर टेक्नोलॉजी यूज की जाती है और पोटेंशियल प्रोडक्शन रेट्स ऑफ फ्लो एनालाइज किया जाता है 

एक पेट्रोलियम इंजीनियरिंग की ड्यूटीज में जो चीजें आती हैं वह है 

  • नंबर वन जमीन पानी या समंदर के नीचे से गैस और ऑयल निकालने के लिए इक्विपमेंट डिजाइन करना 
  • नंबर टू ऑयल एंड गैस एक्सट्रैक्ट करने के लिए रूट मैप तैयार करना 
  • नंबर थ्री रिसोर्स तक पहुंचने के लिए यूज होने वाली ड्रिलिंग मशीनरी को ऑपरेट करना 
  • नंबर फोर कुए की खुदाई कहां करनी है यह डिसाइड करना 
  • नंबर फाइव ड्रिलिंग प्रोसेस के दौरान टेक कंसल्टेशन देना और प्रॉब्लम सॉल्व करना खुदाई के बाद बाहर आने वाले क्रूड ऑयल और नेचुरल गैस का सरफेस कलेक्शन डिजाइन करना और नई टेक्नोलॉजी इजाद करना इनफैक्ट पेट्रोलियम इंजीनियरिंग की कई ब्रांचेस भी हैं 

जैसे ड्रिलिंग इंजीनियरिंग इसमें स्पेशलाइज इंजीनियर्स ऑयल फील्ड की ड्रिलिंग प्रोसेस से जुड़े सभी एस्पेक्ट्स को देखते हैं 

ड्रिलिंग के लिए यूज होने वाले इक्विपमेंट टेक्नोलॉजी मशीनरी आदि को यही लोग डिजाइन और इंप्लीमेंट करते हैं 

ड्रिलिंग इंजीनियर्स ढेर सारी प्राइवेट कंपनीज ऑयल फील्ड ओनर्स स्टेक होल्डर्स और गवर्नमेंट के लिए ड्रिलिंग प्रोजेक्ट्स हैंडल करते हैं 

प्रोडक्शन एंड सर्फेस फैसिलिटी इंजीनियर्स का काम होता है कुए की खुदाई के बाद ऑयल प्रोडक्शन देखना ऑयल प्रोडक्शन के लिए यह तरह-तरह के कंट्रोल्स और इक्विपमेंट यूज करते हैं जिससे क्रूड ऑयल और गैस को निकाला जाता है 

ऑयल प्रोडक्शन के दौरान वहां काम करने वाले लोगों की सेफ्टी इन्हीं के कंधों पर होती है ड्रिलिंग साइट प होने वाले हादसों को रोकना और ऑयल प्रोडक्शन कंट्रोल करना इनकी रिस्पांसिबिलिटी होती है 

पेट्रोलियम इंजीनियरिंग का अगला विन है रिजर्वॉयर इंजीनियरिंग 

एक रिजर्वॉयर इंजीनियर का फोकस होता है जमीन के नीचे पथरीली जगहों से कैसे ऑयल को बाहर निकाला जाए और उसका डिस्ट्रीब्यूशन किया जाए इसके लिए उन्हें वेल ड्रेनेज पैटर्स डिजाइन करने होते हैं रिजर्वॉयर की परफॉर्मेंस एस्टीमेट करनी पड़ती है और प्रोडक्शन बढ़ाने के लिए नए मेथड्स भी ढूंढने होते हैं रिजर्वॉयर इंजीनियर्स में जियोलॉजी की इन डेप्थ अंडरस्टैंडिंग होती है अपनी इंजीनियरिंग ट्रेनिंग और यूज़ ऑफ टेक्नोलॉजी से इन्हें ड्रिलिंग साइट्स की इमेज और मैप बनाने की महारत होती है 

ताकि प्रोजेक्ट प्लानिंग हो सके इसके अलावा पेट्रो फिजिकल इंजीनियरिंग नाम का भी विंग होता है और इसमें स्पेशलाइज्ड इंजीनियर्स रिजर्वॉयर इंजीनियर्स और जियोसाइंटिस्ट की टीम के साथ मिलकर काम करते हैं और बताते हैं कि ड्रिलिंग साइट में रिजर्वॉयर का रॉक फ्लूइड सिस्टम कैसा है वो रॉक एंड सॉइल का सैंपल कलेक्ट करके बताते हैं कि किस तरह से ड्रिलिंग करनी है 

ड्रिलिंग के लिए कौन-कौन सी टेक्नोलॉजी यूज करनी है 

वगैरह वगैरह पेट्रोलियम इंजीनियर बनने के लिए किसी कैंडिडेट को पेट्रोलियम इंजीनियरिंग में डिप्लोमा अंडर ग्रेजुएट या पोस्ट ग्रेजुएट इन पेट्रोलियम इंजीनियरिंग बीटेक इन पेट्रोलियम इंजीनियरिंग बीटेक इन गैस एंड अप्लाइड पेट्रोलियम इंजीनियरिंग एमटेक इन पेट्रोलियम इंजीनियरिंग जैसी पढ़ाई करनी पड़ती है 

अगर स्कूल लेवल प्रिपरेशन की बात करें तो स्टूडेंट को क्लास 12th साइंस स्ट्रीम से पास करना होता है वो भी मिनिमम 50% मार्क्स के साथ फिजिक्स केमिस्ट्री और मैथमेटिक्स मेन सब्जेक्ट्स होने चाहिए और स्कूलिंग के साथ ही एंट्रेंस एग्जाम की तैयारी शुरू हो जाए तो ज्यादा बेहतर है 

क्लास 12 के बाद एंट्रेंस एग्जाम के तौर पे स्टूडेंट को जेईई देना होता है ताकि वो इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर सके इसके अलावा सीयू टी या “सेंट्रल यूनिवर्सिटी एंट्रेंस टेस्ट और गेट एग्जाम” भी दे सकते हैं फिजिक्स केमिस्ट्री और मैथमेटिक्स में क्लास 12 पासआउट स्टूडेंट्स एंट्रेंस एग्जाम के जरिए या 3 साल का डिप्लोमा इन पेट्रोलियम इंजीनियरिंग पूरा कर चुके कैंडिडेट्स अंडर ग्रेजुएट कोर्सेस में एडमिशन ले सकते हैं और पोस्ट ग्रेजुएट कोर्सेस करने के लिए कैंडिडेट का पेट्रोलियम इंजीनियरिंग ग्रेजुएट होना बहुत जरूरी होता है 

आईआईटी जेईई की तैयारी कैसे करें इसके लिए आपको हमारे वेबसाइट पे सेपरेट  पोस्ट मिल जाएगा पेट्रोलियम इंजीनियरिंग के सिलेबस में इंग्लिश मैथमेटिक्स इंजीनियरिंग केमिस्ट्री इंजीनियरिंग ड्राइंग एलिमेंट्स ऑफ मैकेनिकल इंजीनियरिंग इंजीनियरिंग फिजिक्स जनरल जियोलॉजी सर्वेइंग एंड ऑफशोर स्ट्रक्चर्स केमिकल प्रोसेस कैलकुलेशंस पेट्रोलियम जियोलॉजी थर्मोडायनेमिक्स फॉर पेट्रोलियम इंजीनियर्स पेट्रोलियम एक्सप्लोरेशन प्रोसेस डायनेमिक्स एंड कंट्रोल प्रोसेस इंस्ट्रूमेंटेशन वेल लॉगिंग एंड फॉर्मेशन इवैल्यूएशन अल्टरनेटिव एनर्जी सोर्सेस फॉर ऑटोमोबाइल पेट्रोलियम रिफाइनरी एंड पेट्रोकेमिकल इंजीनियरिंग पेट्रोलियम रिजर्वॉयर इंजीनियरिंग इंटीग्रेटेड एसेट मैनेजमेंट सर्फेस प्रोडक्शन ऑपरेशंस पेट्रोलियम इकोनॉमिक्स पॉलिसीज एंड रेगुलेशंस जैसे टॉपिक्स कवर किए जाते हैं 

एंट्रेंस क्लियर करने के बाद अगर आप अच्छा कॉलेज ढूंढने जाएंगे 

तो आपको ढेर सारे ऑप्शंस मिलेंगे पर हम आपको बेस्ट कॉलेज या यूनिव वर्सिटी चुनने में मदद कर सकते हैं जैसे देश के कुछ फेमस इंस्टीट्यूट्स एंड यूनिवर्सिटीज हैं 

  • इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी धनबाद 
  • पंडित दीनदयाल पेट्रोलियम यूनिवर्सिटी गांधीनगर 
  • यूनिवर्सिटी ऑफ पेट्रोलियम एंड एनर्जी स्टडीज देहरादून महाराष्ट्र 
  • इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी पुणे 
  • इंस्टिट्यूट ऑफ केमिकल टेक्नोलॉजी मुंबई राजीव गांधी 
  • इंस्टिट्यूट ऑफ पेट्रोलियम टेक्नोलॉजी रायबरेली नेशनल 

इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी रायपुर अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी और मुस्लिम कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग उस्मानिया यूनिवर्सिटी हैदराबाद जैसे यूपीईएस देहरादून में आप बीटेक इन अप्लाइड पेट्रोलियम इंजीनियरिंग कर सकते हैं महाराष्ट्र इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी पुणे में एमटेक इन पेट्रोलियम इंजीनियरिंग की पढ़ाई होती है राय बरेली के राजीव गांधी इंस्टिट्यूट ऑफ पेट्रोलियम टेक्नोलॉजी में एमटेक और पीएचडी इन पेट्रोलियम इंजीनियरिंग की फैसिलिटी है 

आईआईटी खड़गपुर में भी पेट्रोलियम इंजीनियरिंग का फाइव ईयर इंटीग्रेटेड बीटेक ऑनर्स और एमटेक प्रोग्राम है जिसमें स्टूडेंट्स को मिलती है एक बीटेक ऑनर्स की डिग्री इन मैकेनिकल इंजीनियरिंग केमिकल इंजीनियरिंग या माइनिंग इंजीनियरिंग और एमटेक इन पेट्रोलियम इंजीनियरिंग की डिग्री इसे पूरा करने के बाद स्टूडेंट्स पेट्रोलियम प्रोडक्शन में अपना करियर एक्सप्लोर कर सकते हैं वहीं एक सिक्स ईयर इंटीग्रेटेड एमएससी एंड एमटेक प्रोग्राम भी है जिसे पूरा करके स्टूडेंट्स पेट्रोलियम एक्सप्लोरेशन की फील्ड में जाते हैं 

क्यूस वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग्स को दुनिया में सबसे ज्यादा ट्रस्ट किया जाता है और पेट्रोलियम इंजीनियरिंग की बात करें तो क्यूएसडब्ल्यू वर्सिटीज हैं यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्सस यूएसए स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी यूएसए किंग फहद यूनिवर्सिटी ऑफ पेट्रोलियम एंड मिनरल्स साउदी अरब कोलोराडो स्कूल ऑफ माइंड्स यूएसए आईटी मद्रास चेन्नई टेक्सास एएनएम यूनिवर्सिटी यूनिवर्सिटी ऑफ अल्बर्टा कैनेडा इंपीरियल कॉलेज लंदन खलीफा यूनिवर्सिटी अबू धाबी मिडिल ईस्ट टेक्निकल यूनिवर्सिटी अंकारा तुर्क द यूनिव सिटी ऑफ न्यू साउथ वेल्स सिडनी जैसे नाम शामिल है बस बात इतनी सी नहीं है कि आपने पेट्रोलियम इंजीनियरिंग की डिग्री ले ली और आपका काम हो गया अगर इस फील्ड में आप टॉप तक पहुंचना चाहते हैं तो डिग्री के अलावा और कुछ भी स्किल्स हैं जो आप में होनी चाहिए 

जैसे एक सूटेबल कैंडिडेट में कंप्यूटर एडेड डिजाइन जिसको कैड भी कहते हैं उस सॉफ्टवेयर की नॉलेज होनी बेहद जरूरी है क्योंकि पेट्रोलियम इंजीनियर्स अपने काम में ब्लूप्रिंट डिजाइन करते हैं इसलिए उनमें अलग-अलग कैट सॉफ्टवेयर यूज करने की काबिलियत होनी चाहिए 

पेट्रोलियम इंजीनियरिंग में डेटा एनालिसिस सिमुलेशंस ऑटोमेट प्रोडक्शन और ड्रिलिंग प्रोसेस के लिए एडवांस टेक्नोलॉजीज यूज होती है तो कैंडिडेट का टेक सेवी होना बेहद जरूरी है सॉलिड वर्क्स इवेंटर ऑटोकैड सिविल 3d माइक्रो स्टेशन जैसे कैड सॉफ्टवेयर ऑयल एंड गैस इंडस्ट्री में यूज किए जाते हैं 

अगर आप एक टीम प्लेयर हैं और टीम वर्क करने में विश्वास रखते हैं तो पेट्रोलियम इंजीनियर के तौर पे आप वेल एस्टेब्लिश हो सकते हैं क्योंकि यहां पेट्रोलियम इंजीनियर्स को कंस्ट्रक्शन मैन्युफैक्चरिंग एंप्लॉयज और प्रोजेक्ट मैनेजर्स के साथ काम करना पड़ता है यही नहीं इसी फील्ड के दूसरे केमिकल सिविल इंजीनियरिंग और जियोलॉजी प्रोफेशनल्स के साथ भी टीम बनाकर काम करने और हाई लेवल की टीम कोऑर्डिनेशन की जरूरत पड़ती है 

इंग्लिश में कैंडिडेट की कम्युनिकेशन स्किल्स अच्छी होनी चाहिए 

ताकि वर्क फ्लो स्मूथली और एफिशिएंटली चलता रहे क्योंकि हो सकता है एक ऑयल रिलिंग साइट या गैस फील्ड प ढेर सारे दे के इंजीनियर्स और एंप्लॉयज काम कर रहे हो तो सबकी मेन कम्युनिकेशन लैंग्वेज बनती है इंग्लिश इसके अलावा अगर आप कोई और भाषा भी जानते हैं तो एडवांटेज मिलता ही है पर कम्युनिकेशन प्रेजेंटेशन टीम मीटिंग्स और इंस्ट्रक्शंस के लिए इंग्लिश पे अच्छी पकड़ होनी चाहिए कई बार ऐसा भी होता है कि ऑयल एंड गैस फील्ड प काम करते हुए आपके पास हमेशा वर्बल इंस्ट्रक्शंस ना हो ऐसे में इंजीनियर्स में ब्लूप्रिंट्स और दूसरे टेक्निकल ड्राइंग्स को समझने और उन्हें इंटरप्रेट करने की काबिलियत होनी चाहिए 

अगर आप कि किसी भी सिचुएशन को समझकर सही डिसीजन लेना जानते हैं तो यह कहना गलत नहीं होगा कि आपकी एनालिटिकल स्किल्स अच्छी हैं और इसकी जरूरत एक पेट्रोलियम इंजीनियर को पड़ती ही है ऑयल फील्ड रेगिस्तान में मिला है किसी पहाड़ी पे झील या समुंदर के नीचे इस पे काफी हद तक डिपेंड करता है कि ऑयल निकालना कैसे है ऐसे में काम आती है 

पेट्रोलियम इंजीनियर की एनालिटिकल स्किल्स जहां अवेलेबल डाटा और इंफॉर्मेशन पर बेस करके ऑयल एक्सट्रैक्ट करने का फाइनल डिसीजन लेना होता है प पेट्रोलियम इंजीनियरिंग करने के बाद एक सक्सेसफुल कैंडिडेट को पेट्रोलियम इंजीनियर रिजर्वॉयर इंजीनियर ड्रिलिंग इंजीनियर प्रोडक्शन इंजीनियर वेल टेस्टिंग इंजीनियर प्रोजेक्ट इंजीनियर और रिसर्च इंजीनियर जैसे पोस्ट पे जॉब मिलती है 

पेट्रोलियम इंजीनियरिंग के बाद अगर आप इंडिया में जॉब ढूंढ रहे हैं तो एक्सप्लोरेशन एंड प्रोडक्शन रिफाइनिशिव एकेडमिक्स रिसर्च एंड डेवलपमेंट रेगुलेटरी एंड गवर्नमेंट एजेंसीज में मौका मिल सकता है ऑयल एंड नेचुरल गैस कमीशन इंडियन ऑयल reliance  लाख प्रोडक्शन इंजीनियर की सैलरी 9 से ₹ लाख ड्रिलिंग इंजीनियर्स की सैलरी 8 से 10 लाख सालाना होती है वहीं सैलरी रेंज की बात करें तो यह 4 से ₹1 लाख तक जाती है और एक्सपीरियंस एंड स्किल्स के हिसाब से बढ़ती है वहीं गवर्नमेंट सेक्टर में अगर आपको जॉब मिल रही है तो आपको पेट्रोलियम इंजीनियर प्रोडक्ट टेस्टिंग इंजीनियर एक्सप्लोरेशन इंजीनियर मार्केटिंग हेड रिफाइनरी मैनेजर प्रोडक्शन मैनेजर ट्रांसपोर्ट स्पेशलिस्ट और स्टोरेज स्पेशलिस्ट जैसे रोल ऑफर हो सकते हैं

वहीं प्राइवेट सेक्टर में आपको पेट्रोलियम इंजीनियर पेट्रोलियम सेल्स इंजीनियर डीलर अकाउंट मैनेजर ड्राइवर इंस्ट्रूमेंटेशन इंजीनियर और प्रोसेस इंजीनियर की प्रोफाइल मिल सकती है अगर आप का मन विदेश में जॉब करने का है तो कनाडा सिप्रस मलेशिया रशिया यूके यूएसए और मिडिल ईस्ट कंट्रीज में आप एग्जीक्यूटिव ट्रेनी ग्रेड बी इंजीनियर्स ग्रेजुएट इंजीनियर ट्रेनी पेट्रोलियम इंजीनियर रिसर्च एसोसिएट जूनियर इंजीनियर और रिसर्च इंजीनियर की पोस्ट प अप्लाई कर सकते हैं 

ग्लोबल ऑयल एंड गैस कंपनीज की बात करें तो लूक ऑयल शेवन टोटल एकन मोबल ब्रिटिश पेट्रोलियम चाइना नेशनल पेट्रोलियम कॉर्प रॉयल डच और चाइना पेट्रोलियम एंड केमिकल कॉरपोरेशन जैसी कंपनीज में आप अपनी क्वालिफिकेशन के हिसाब से जॉब ओपनिंग देख सकते हैं तो ओवरऑल पेट्रोलियम इंजीनियरिंग के ऊपर सारे एस्पेक्ट्स हमने कवर कर लिए हैं आप क्यूरियस है तो अपने एंड पे और ज्यादा रिसर्च कर सकते हैं  पोस्ट का कंटेंट अच्छा लगा है तो इसे शेयर करना मत भूलिए थैंक्स फॉर रीडिंग य्हरेड 

 

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