कंप्यूटर का आविष्कार कब और किसने किया ?

कंप्यूटर का आविष्कार कब और किसने किया ? HISTORY AND INVENTION OF COMPUTER

कंप्यूटर का आविष्कार कब और किसने किया ? HISTORY AND INVENTION OF COMPUTER

दोस्तों कहा जाता है नीड इज द मदर ऑफ इन्वेंशन यानी कि आवश्यकता ही आविष्कार की जननी है और ऐसा ही हमें कुछ कंप्यूटर के इन्वेंशन के साथ भी देखने को मिलता है आज हम जिस कंप्यूटर को देख रहे हैं उसकी खोज सालों पहले मैथमेटिकल ऑपरेशंस के लिए किया गया था हालांकि समय समय पर जरूरतों के अनुसार वैज्ञानिकों और इंजीनियर्स ने इसमें ढेर सारे चेंजेज किए 

जिसका रिजल्ट आज आप खुद अपनी आंखों से देख ही सकते हैं पहले जो कंप्यूटर एक कमरे के साइज के हुआ करते थे आज वह 24 इंच के स्क्रीन में सिमट के रह चुके हैं हालांकि साइज में भले ही ये काफी छोटे हो चुके हैं पर अगर यूजेस की बात करें 

तो इनका इस्तेमाल अब पहले से कई गुना ज्यादा होने लगा है और हो भी क्यों ना आज के टाइम में हर चीज ऑनलाइन है डिजिटल का जमाना है पेपर वर्क की जगह अब कंप्यूटर ने ले ली है यही वजह है कि आज चाहे कोई प्राइवेट ऑफिस हो या फिर कोई सरकारी बैंक हर जगह आपको कंप्यूटर देखने को मिल जाएगा 

आज टिकट बुकिंग से लेकर ईमेल भेजने तक ऑनलाइन रिजल्ट देखना हो या फिर स्टडी करनी हो या फिर हमें गेम ही क्यों ना खेलना हो सभी कामों में में कंप्यूटर का इस्तेमाल होने लगा है 

इनफैक्ट अमेरिका और जापान जैसे देशों का विकास के पीछे भी मेन रीजन कंप्यूटर ही है 

दुनिया का पहला कंप्यूटर कौन सा था

वैसे दोस्तों कंप्यूटर का इस्तेमाल तो आप सभी करते होंगे पर क्या आपने कभी यह सोचा है कि दुनिया का पहला कंप्यूटर कौन सा था उसे किसने बनाया था और सबसे जरूरी बात कि कंप्यूटर कब और कौन लेकर आया था वैसे मैं गारंटी के साथ कह सकता हूं कि आप में से ज्यादातर लोगों को भारत के कंप्यूटर की हिस्ट्री पता नहीं होगी वैसे अगर मैं सही कह रहा हूं तो आपसे रिक्वेस्ट है कि आप इस पोस्ट में एंड तक बने रहे ताकि आप उस नॉलेज को हासिल कर सकें जिससे अभी भी बहुत से लोग अनजान हैं 

दोस्तों सबसे पहले तो आप यह जान लीजिए कि कंप्यूटर का इतिहास आज से लगभग 3000 साल पुराना है जी हां 3000 साल पुराना दरअसल 300 बीसी में चीन में बेबीलोनियंस द्वारा एक मशीन बनाई गई थी जिसका नाम अब अबेकस था यह लकड़ी का एक फ्रेमवर्क था जिसमें दो वायर लगे होते थे यह दोनों ही वायर एक दूसरे के पैरेलल होते थे और इन वायर के ऊपर बेड के शेप के कुछ स्ट्रक्चर्स लगे होते थे जिनका यूज़ कैलकुलेशन करने के लिए लिए किया जाता था इनकी यूटिलिटी को देखते हुए आज के समय में अबेकस का यूज स्कूल में बच्चों को काउंटिंग सिखाने के लिए किया जाता है 

दोस्तों अकस के बाद अलग-अलग समय में अलग-अलग वैज्ञानिकों ने अपनी जरूरत के अनुसार डिफरेंट टाइप्स के कैलकुलेटिंग डिवाइसेज बनाए पर अगर डिजिटल कंप्यूटर की बात करें तो इसे बनाने का श्रेय फ्रांस के ग्रेत मैथमेटिशियन ब्लेसी पास्कल को जाता है उनके द्वारा 1642 में डिजिटल कंप्यूटर का इन्वेंशन किया गया था जिसमें नंबर लगे होते थे और उन नंबर्स को डायल कर ने पर किसी भी नंबर्स को आपस में ऐड किया जा सकता था 

इस कंप्यूटर का इस्तेमाल एक कैलकुलेटर के रूप में किया जाता था दोस्तों डिजिटल कंप्यूटर के बाद बारी थी मैकेनिकल कंप्यूटर के इन्वेंशन की और इसका इन्वेंशन साल 1822 में चार्ल्स बेबज के द्वारा किया गया था 

चार्ल्स बेबज ने अपने इस डिवाइस को सिंपल कैलकुलेशन करने के लिए बनाया था यह स्टीम से चलने वाली एक तरह की कैलकुलेटिंग डिवाइस थी इस डिवाइस को बनाने के बाद 1830 में चार्ल्स बेबज ने एक और कैलकुलेटिंग डिवाइस बनाई जिसे उन्होंने डिफरेंट डिफरेंशियल इंजन का नाम दिया डिफरेंशियल इंजन की हेल्प से ही सभी तरह के मैथमेटिकल ऑपरेशंस किए जा सकते थे पर चार्ल्स बाबजी इस डिवाइस को और भी ज्यादा एडवांस बनाना चाहते थे और इसीलिए वह लगातार रात दिन एक करके उस पर काम करते रहे लेकिन शायद होनी को कुछ और ही मंजूर था 79 साल की एज में 187 में चार्ल्स बेबज की अचानक मौत हो जाती है 

चार्ल्स बेबज के मरने के 40 साल बाद 1888 में चार्ल्स बेबज के बेटे हेनरी बेबज अपने पिता के काम को आगे बढ़ाते हैं और 1937 में पहला जनरल मैकेनिकल कंप्यूटर बनाकर तैयार कर देते हैं जिसका नाम एनालिटिकल इंजन रखा गया दोस्तों यह कंप्यूटर अब तक के बनाए गए सभी कंप्यूटर से अलग और खास था यह लगभग हर तरह की मैथमेटिकल प्रॉब्लम्स को सॉल्व कर सकता था 

इसके अलावा यह कंप्यूटर इंफॉर्मेशन को परमानेंट मेमोरी के रूप में स्टोर भी कर सकता था यानी यह कंप्यूटर पूरी तरह मॉडर्न टेक्नोलॉजी से इक्विप था आगे चलकर इसी को आधार बनाकर मॉडर्न कंप्यूटर्स का विकास हुआ यही वजह है कि चार्ल्स ब को फादर ऑफ कंप्यूटर कहा जाता है 

दोस्तों कंप्यूटर के इतिहास का पहला इलेक्ट्रॉनिक कंप्यूटर एबीसी है एबीसी यानी अतानासऑफ बिनरी कंप्यूटर इस कंप्यूटर को लोवा स्टेट यूनिवर्सिटी के फिजिक्स प्रोफेसर डॉ जॉन विंसेंट अटेना सॉफ ने अपने ग्रेजुएट स्टूडेंट क्लिफोर्ड बनरी के साथ मिलकर बनाया था 

दोस्तों कंप्यूटर के इतिहास में क्रांति लाने वाला कंप्यूटर ईन आईएसी है ई एनआईएससी यानी इलेक्ट्रॉनिक न्यूमेरिकल इंटीग्रेटर एंड कंप्यूटर अगर आप नाम से नहीं समझ पा रहे हैं तो मैं आपको बता दूं ईन आईएससी दुनिया का पहला प्रोग्रामेबल इलेक्ट्रॉनिक जनरल पर्पस डिजिटल कंप्यूटर है जिसे 1945 में बनाया गया था 

इस कंप्यूटर को डिज़ाइन करने और बनाने का काम यूएस आर्मी ने किया था इसलिए सबसे पहले इस कंप्यूटर को यूएस आर्मी के लिए इस्तेमाल में लाया गया था यह कंप्यूटर बड़े से बड़ा न्यूमेरिकल प्रॉब्लम सॉल्व करने में कैपेबल था इसमें प्रोग्रामिंग के थ्रू चेंजेज भी किए जा सकते थे न आईएससी अपने समय में उन कैलकुलेशंस को 30 सेकंड में पूरा कर देता था जो कि उस समय एक आम इंसान को को करने में 20 घंटे लगते थे ईन आईएससी की इस खूबी ने उसे अपने समय में काफी पॉपुलर दिलाई 

हालांकि ईन आईएससी की एक कमी भी थी इसका वेट और साइज दोनों ही काफी बड़ा था अगर साइज की बात करें तो इस कंप्यूटर को किसी जगह पर रखने के लिए 20 बा 40 फीट का कमरा होना चाहिए था जबकि इस कंप्यूटर का वेट लगभग 30 टन था यह कंप्यूटर पर्सनल यूज़ के लिए नहीं था इसका इस्तेमाल किसी एरिया स्पेसिफिक से जुड़े लोग ही कर पाते थे 

दोस्तों इस पहले प्रोग्रामेबल कंप्यूटर के बनने के कुछ ही समय बाद पूरी दुनिया में एक इंडस्ट्रियल रेवोल्यूशन आ गया दुनिया की हर बड़ी कंपनी कंप्यूटर बनाना और उसे बेचकर पैसे कमाना चाहती थी जिस वजह से अलग-अलग समय पर इन कंपनीज ने कई ऐसे इलेक्ट्रॉनिक डिवाइसेज बनाए जो कि कंप्यूटर के मॉडर्नाइजेशन में बहुत काम आए और इसी के बेसिस पर कंप्यूटर्स को पांच जनरेशन में बांटा गया 

अगर फर्स्ट जनरेशन की बात करें 

तो इसका टाइम पीरियड 1940 से 56 तक का था और इस बीच जो कंप्यूटर्स बनाए गए उसमें वैक्यूम ट्यूब्स का इस्तेमाल किया गया था यह वैक्यूम ट्यूब साइज में बहुत बड़े और वजनदार होते थे इसलिए फर्स्ट जनरेशन के कंप्यूटर साइज में बड़े और वजनदार होते थे जिस वजह से उन्हें एक जगह से दूसरी जगह नहीं ले जाया जा सकता था 

दोस्तों नसी भी फर्स्ट जनरेशन के कंप्यूटर का ही एग्जांपल है इसमें 20000 वैक्यूम ट्यूब्स 10000 कैपेसिटर्स और 70000 रेजिस्टर्स लगे होते थे ईन आईएससी के अलावा ईडी सेक आईबीएम 71 भी फर्स्ट जनरेशन के ही कंप्यूटर हैं 

दोस्तों आइए अब जानते हैं सेकंड जनरेशन

सेकंड जनरेशन के कंप्यूटर को लेकिन उससे पहले मैं आपको बता दूं कि इस जनरेशन का टाइम पीरियड 1956 से 63 तक था इस जनरेशन में हमें एक नई टेक्नोलॉजी देखने को मिली थी जिसका नाम ट्रांजिस्टर था इस नई टेक्नोलॉजी ने कंप्यूटर में वैक्यूम ट्यूब्स खत्म कर दिया जिसके बाद कंप्यूटर्स में वैक्यूम ट्यूब्स की जगह पर ट्रांजिस्टर का इस्तेमाल होने लगा ट्रांजिस्टर के इस्तेमाल की वजह से कंप्यूटर का साइज पहले से थोड़ा छोटा हो गया और वजन भी कम हो गया 

इसके साथ-साथ कंप्यूटर की प्रोसेसिंग भी फास्ट हो गई इस जनरेशन के कंप्यूटर में आईबीएम 7070 फको ट्रंक s1000 और rc1 का नाम शामिल है इन सभी कंप्यूटर्स में tx3 का इस्तेमाल किया गया था जिसका इन्वेंशन 1956 में हुआ था 1956 से 1963 तक इस तरह के कंप्यूटर काफी इस्तेमाल में लाए गए लेकिन 1964 में एक और नई टेक्नोलॉजी सामने आती है 

जिसे थर्ड जनरेशन की शुरुआत माना जाता है यह नई टेक्नोलॉजी आईसी यानी कि इंटीग्रेटेड सर्किट का था जिसने कंप्यूटर से ट्रांजिस्टर का काम खत्म कर दिया इससे कंप्यूटर का साइज और छोटा हो गया और साथ ही यह सेकंड जनरेशन के कंप्यूटर से और भी ज्यादा फास्ट कैलकुलेशन करने लगा दोस्तों आईसी के इन्वेंशन के बाद से दुनिया में कंप्यूटर का रूप ही बदल गया और इसका अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हैं कि आज भी आईस का इस्तेमाल कंप्यूटर में किया जाता है 

 इसी तरह से थर्ड जनरेशन को गोल्डन जनरेशन का नाम दे दिया जाता है दोस्तों थर्ड जनरेशन के बाद 1972 से फोर्थ जनरेशन की शुरुआत होती है इस जनरेशन का महत्व इसलिए भी बढ़ जाता है क्योंकि इसमें कंप्यूटर्स एक बड़े कमरे से निकलकर लोगों के डेस्क तक आ गए थे दरअसल इसी जनरेशन में माइक्रोप्रोसेसर का इन्वेंशन हुआ जिसने कंप्यूटर को सुपर फास्ट के साथ-साथ कंपैक्ट और डेस्कटॉप तक ला दिया जिस वजह से आम इंसान भी अब बहुत ही आराम से इसे खरीद सकते थे और उसका यूज कर सकते थे इस जनरेशन के कुछ मेन कंप्यूटर्स में अटर 8800 आईबीए 5100 और मिकल का नाम आता है 

दोस्तों इसके बाद आता है फिफ्थ जनरेशन यह जनरेशन कंप्यूटर के युग का सबसे मॉडर्न जनरेशन है जिसकी शुरुआत हुई है साल 2010 में लेकिन यह अभी भी चल रही है और शायद आगे भी चलती जाएगी क्योंकि इस जनरेशन के कंप्यूटर में एआई यानी कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल किया जाता है और एआई कितना पावरफुल है इसके बारे में तो आप सभी जानते ही होंगे एआई के आने के बाद से इंसान अपने लैंग्वेज में कंप्यूटर से बात कर सकता है उसे जिस तरीके से चाहे इस्तेमाल कर सकता है कोटाना सी हम अपने आखिरी सवाल पर आते हैं जिसका जवाब जानना हमारे लिए सबसे ज्यादा जरूरी हो जाता है 

क्योंकि यह सवाल हमारे देश से जुड़ा हुआ है हमारे देश भारत में कंप्यूटर कब और कौन लेकर आया था दोस्तों भारत में कंप्यूटर युग का आरंभ साल 1952 से माना जाता है क्योंकि इसी साल भारत में पहला कंप्यूटर द्विजेश दत्ता मजूमदार द्वारा कोलकाता के इंडियन स्टैटिकल इंस्टिट्यूट में लगाया गया था इसके बाद बेंगलुरु में भी भारतीय विज्ञान संस्थान में इसी तरह के एनालॉग कंप्यूटर लगाए गए पर दोस्तों अगर सही मायने में देखा जाए तो भारत में कंप्यूटर युग की शुरुआत 1956 में हुई क्योंकि इसी साल भारत में पहला डिजिटल कंप्यूटर लाया गया था जिसका नाम एचईसी 2m था h2m कंप्यूटर को इंग्लैंड में बनाया गया था इसे ब्रिटिश इंजीनियर और फिजिसिस्ट एंड्रू डोनाल्ड बूथ ने बनाया था 

इस कंप्यूटर की कीमत उस समय इंडियन करेंसी में ₹1 लाख थी इस कंप्यूटर की लेंथ 10 फीट विड्थ 7 फीट और हाइट 6 फीट थी इस कंप्यूटर को भी कोलकाता के भारतीय विज्ञान संस्थान के अंदर लगाया गया था यह भारत का पहला इलेक्ट्रॉनिक बेस्ड कंप्यूटर था और इस तरह के कंप्यूटर का इस्तेमाल जियोग्राफिक कैलकुलेशंस और साइंटिफिक वर्क्स के लिए किया जाता था जिस समय इस कंप्यूटर को भारत में लगाया गया था उस समय भारत जापान के बाद एशिया का दूसरा देश बन गया था 

जो इस तरह की कंप्यूटर टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कर रहा था दरअसल एई 2m नामक इस कंप्यूटर में इनपुट और आउटपुट के लिए पंच कार्ड का उपयोग किया गया था हालांकि आगे चलकर इसमें प्रिंटर को भी जोड़ दिया गया दोस्तों एचईसी 2m के बाद साल 1958 में एक और कंप्यूटर भारत में लाया गया भारत ने इस कंप्यूटर को रूस से खरीदा था जो आकार में h2m से भी बड़ा था इस कंप्यूटर का नाम यूरल था भारत में एई 2m और यूरल दोनों ही कंप्यूटर का इस्तेमाल साल 1964 तक किया गया था 

इसके बाद भारत में आईबीएम कंपनी के द्वारा बनाया गया कंप्यूटर आईबीएम 1401 को कोलकाता के इंडियन स्टेटिक इंस्टिट्यूट में लगाया गया यह एक प्रकार का डाटा प्रोसेसिंग कंप्यूटर सिस्टम था इस कंप्यूटर सिस्टम को आईबीएम कंपनी ने साल 1959 में बनाया था और बनने के 5 साल बाद ही इसे भारत में लगा दिया गया दोस्तों साल 1966 तक भारत में जो भी कंप्यूटर इस्तेमाल में किए गए वह सब विदेशों से खरीदे गए थे लेकिन साल 1966 में भारत की दो इंस्टीट्यूशंस इंडियन स्टेटस्ट इंस्टीट्यूट और कोलकाता की जादवपुर यूनिवर्सिटी ने मिलकर भारत का पहला स्वनिर्मित कंप्यूटर बनाया जिसका नाम आईस य जड यू था 

दोस्तों इससे पहले भारत जिन भी कंप्यूटर का इस्तेमाल करता था फिर चाहे वह h2m हो या यूआ यह सभी वैक्यूम ट्यूब पर बेस्ड थे लेकिन भारत में बने आई य ज यू में ट्रांजिस्टर का इस्तेमाल किया गया था भारत में बना पहला सुपर कंप्यूटर परम 8000 था इसके बारे में तो आप डेफिनेटली जानते ही होंगे खैर अगर नहीं जानते तो मैं आपको बता दूं कि परम 8000 को सीडीएसी यानी कि सेंटर फॉर डेवलपमेंट ऑफ एडवांस कंप्यूटिंग द्वारा साल 1991 में आर्किटेक्ट पी भाटकर की टीम द्वारा डेवलप किया गया था संस्कृत भाषा में परम का मतलब सर्वोच्च होता है और जैसा कि इसका नाम है जब परम 8000 सुपर कंप्यूटर पूरी तरह से बनकर तैयार हुआ था 

उस समय यह दुनिया का सबसे पावरफुल कंप्यूटर था इस सुपर कंप्यूटर को बनाने में 3 साल का समय और 3 करोड़ की लागत आई थी परम 8000 सुपर कंप्यूटर साइज में इतना बड़ा है कि यह एक बड़े कमरे को पूरी तरह से घेर सकता है इस सुपर कंप्यूटर को बनाने में सबसे बड़ा योगदान नालंदा यूनिवर्सिटी के चांसलर डॉ विजय पी भाटकर का था इसलिए इन्हें आज फादर ऑफ इंडियन सुपर कंप्यूटर भी कहा जाता है 

दोस्तों परम 8000 के बन के 7 साल बाद साल 1998 में परम 10000 को भी भारत में बनाया गया और इसे बनाने में भी डॉ विजय पी भाटकर का सबसे बड़ा योगदान था दोस्तों इसके साथ ही आपको जानकर खुशी होगी कि आज भारत अपने सभी सुपर कंप्यूटर खुद बनाने में कैपेबल है इनफैक्ट आज के समय में पूरी दुनिया में भारत अपने सुपर कंप्यूटर को एक्सपोर्ट भी करता है तो दोस्तों आज के लिए फिलहाल इतना ही आपका फेवरेट लैपटॉप कौन सी कंपनी का है नीचे कमेंट सेक्शन में जरूर बताएं और अगर इस पोस्ट से आपको कुछ नया जानने या सीखने को मिला या फिर इंटरेस्टिंग लगा तो प्लीज इस पोस्ट को एक लाइक करके अपने फ्रेंड्स और फैमिली में से जरूर शेयर करें  

 

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