दिमाग को कमजोर बनाती है ये आदतें

दिमाग को कमजोर बनाती है ये आदतें | Buddha story Hindi

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दिमाग को कमजोर बनाती है ये आदतें | Buddha story Hindi

दिमाग को कमजोर बनाती है ये आदतें :– दोस्तों दिमाग हमारे शरीर का महत्त्वपूर्ण हिस्सा है हमारे शरीर के अंदर होने वाली क्रियाएं दिमाग से ही संचालित होती हैं किसी घटना पर हम कोई भी प्रतिक्रिया देते हैं तो वह केवल और केवल दिमाग के ही कारण अगर आप अपने हाथ को मोमबत्ती की तरफ लेकर जाते हैं तो वह आपके हाथ को जला देती है लेकिन इसका संदेश सबसे पहले दिमाग तक पहुंचता है और तभी आप अपना हाथ जल्दी से हटा लेते हैं क्योंकि आपके दिमाग में यह बात आ जाती है कि अगर हाथ को मोमबत्ती के पास ज्यादा समय तक रखा तो हाथ जल जाएगा 

यदि व्यक्ति का दिमाग ठीक से काम ना करें तो वह इस दुनिया में जीवन जीने के लायक भी नहीं रह पाता है सभी जीवित प्राणियों में दिमाग अथवा मस्तिष्क जन्म से होता है और इसका विकास उम्र के साथ होता रहता है लेकिन कई बार हमसे जीवन में कुछ ऐसी गलतियां या आदतें बन जाती हैं जो हमारे दिमाग को कमजोर जोर करती हैं और इन आदतों के लिए कोई और नहीं बल्कि हम स्वयं जिम्मेदार होते हैं 

आइए बुद्ध और उनके शिष्य की इस कहानी के माध्यम से जानते हैं कि मनुष्यों में ऐसी कौन सी आदतें पाई जाती है जो उनके दिमाग को कमजोर करती हैं 

दोस्तों गौतम बुद्ध की शिक्षा हर किसी के जीवन को नई दिशा दे सकती है अगर आप भी इसे मानते हैं तो कमेंट्स में नमो बुद्धाय लिखना मत भूलिए एक समय की बात है बुद्ध अपने कुछ शिष्यों के साथ यात्रा पर थे चलते चलते वे एक जंगल के किनारे पहुंचे और अंधेरा भी छाने लगा गौतम बुद्ध और उनके शिष्यों ने निर्णय लिया कि आज की रात्रि वे यहीं पर बिताएंगे और कल सुबह होते ही आगे की यात्रा पर निकलेंगे उन सभी शिष्यों में से बुद्ध के एक प्रिय शिष्य भी थे जो कि कद में नाटे और बहुत भोले भाले थे 

सभी शिष्यों में से इस शिष्य की आदत बिल्कुल अलग थी जहां सभी लोग सात से आठ घंटे की नींद लेते थे यह महाशय केवल तीन घंटे ही सोते थे इनका मानना था कि जो लोग अधिक सोते हैं वह आलसी होते हैं गौतम बुद्ध के इस शिष्य को भोजन करना बहुत अधिक पसंद था जब वे भोजन करने बैठते थे तो अन्य सभी शिष्यों के हिस्से का भी भोजन कर लेते थे 

इसी प्रकार उनकी कई ऐसी आदतें थी जो अन्य शिष्यों को परेशानी में डाल देती थी उस रात्रि जब गौतम बुद्ध और उनके शिष्यों ने जंगल के किनारे पर पड़ाव डाला तब दूर दूर तक पानी की कोई व्यवस्था नहीं दिख रही थी इस बार पानी खोज कर लाने की जिम्मेदारी बुद्ध के उन भोले भाले शिष्य को दी गई महाशय मटका लेकर पानी की खोज में निकल पड़े इनका शरीर पहले से थका हुआ था काफी सोच विचार करते-करते और चलते चलते आखिरकार इन्हें तालाब दिख गया इन्होंने तालाब से मटके में पानी भरा और पानी लेकर जैसे ही आगे बढ़े वहीं पर मूर्छा खाकर गिर पड़े उधर

गौतम बुद्ध और उनके अन्य शिष्य उनकी प्रतीक्षा करते रहे जब प्रतीक्षा में पूरी रात्रि बीत गई तब अगली सुबह गौतम बुद्ध स्वयं अन्य शिष्यों के साथ अपने उस शिष्य की खोज में निकल पड़े जो रात से वापस नहीं लौटे थे सभी लोग सभी लोग उन्हें खोजते हुए तालाब के पास पहुंचे और मूर्छित हुए शिष्य को होश में लाने का प्रयास किया जब वह शिष्य होश में आए और गौतम बुद्ध को अपने सामने देखा तो चौक गए उन्हें कुछ भी याद नहीं था कि वह तालाब के पास क्या कर रहे हैं उनके इस व्यवहार को देखकर अन्य सभी शिष्य उन पर हंसने लगे और उन्हें मंद बुद्धि कहकर चिढ़ाने लगे वह भोले भाले शिष्य वहीं पर रोने लगे और कहने लगे कि हां मैं मंद बुद्धि हूं 

 

तब गौतम बुद्ध ने सभी को शांत कराया और अपने शिष्य को समझाते हुए बोले कि हम सभी ने देखा है तुम्हारी आदतें अन्य मनुष्यों से बिल्कुल अलग है तुम बहुत कम सोते हो और बहुत अधिक खाते हो मैंने तुम्हारे अंदर एक नकारात्मक जीव को महसूस किया है जो तुम्हारे दिमाग को दिन रात कमजोर कर रही है तब वह शिष्य और अधिक तेज से रोने लगे और कहने लगे कि गुरुदेव अब आप भी मुझे मंद बुद्धि कह रहे हैं तब गौतम बुद्ध ने कहा कि नहीं ऐसा नहीं है तुम एक होशियार और बुद्धिमान मनुष्य हो किंतु तुमने कुछ ऐसी आदतों को पाल रखा है जिसके कारण तुम्हारा दिमाग कमजोर हो रहा है 

तब शिष्य ने कहा कि हे गुरुदेव ऐसी कौन सी आदतें हैं जिनसे मनुष्य का दिमाग कमजोर होता है 

तब गौतम बुद्ध ने कहा कि आज मैं तुम्हें बताता हूं कि ऐसी कौन सी आदत हैं जो मनुष्य के दिमाग को कमजोर करती हैं मेरी बात को सभी लोग ध्यान से सुनना गौतम बुद्ध ने बताना प्रारंभ किया 

पहली आदत नींद के महत्व को समझने में भूल करना

 कई ऐसे व्यक्ति होते हैं जो नींद को गंभीरता से नहीं लेते हैं उनका यह मानना होता है कि ज्यादा सोना समय की बर्बादी होती है यदि वे कम सोएंगे तो अधिक कार्य कर पाएंगे और अधिक सक्रिय रहेंगे जबकि यह सोचना बिल्कुल गलत है नींद हमारे शरीर की एक मुख्य आवश्यकता है दिन भर काम करने के बाद जब शरीर थक जाता है तो उसे कम से कम सात से आठ घंटे की नींद की आवश्यकता पड़ती है तभी जाकर वह अगले दिन के लिए सक्रियता से तैयार हो पाता है कम सोने वाले व्यक्तियों की मानसिक क्षमता भी कमजोर मानी जाती है इसलिए दिमाग को तरोताजा और तेज रखना है तो रोज सात से आठ घंटे जरूर सोए 

दूसरी आदत आवश्यकता से अधिक भोजन करना 

कई व्यक्ति ऐसा सोचते हैं कि एक ही जीवन मिला है इसलिए इसे खाने पीने और मौज करने में बिताना चाहिए और इसी सोच के कारण वह आवश्यकता से अधिक खाना खाने लगते हैं ना तो उनके खाने में किसी प्रकार की कोई गुणवत्ता होती है और ना ही वह कभी खाने की मात्रा पर ध्यान देते हैं कई लोगों को लगता है कि अधिक खाने से शरीर को अधिक ताकत मिलती है जबकि ऐसा कुछ नहीं है अधिक खाने से शरीर में केवल केवल बीमारियां ही लगती हैं कभी पाचन संबंधी बीमारी तो कभी शरीर का मोटापा यह सब कुछ खाने की गलत मात्रा और उसकी गुणवत्ता के कारण ही होता है जब व्यक्ति का शरीर बीमार रहेगा तो इसका असर दिमाग पर भी होगा इसलिए अपने दिमाग को तेज रखने के लिए सही मात्रा में और सही गुणवत्ता वाला भोजन करना चाहिए 

तीसरी और खास आदत खुद को कार्य करने की मशीन समझना 

इस संसार में कई ऐसे व्यक्ति हैं जो दिन रात काम के पीछे भागते रहते हैं और इस बीच ना तो वे अपने शरीर को आराम देते हैं और ना ही कभी अपने परिवार को समय देते हैं ऐसी आदतों से उनके जीवन में तनाव बढ़ जाता है और एक दिन ऐसी थकान हो जाती है कि फिर वह पहले के जितना सक्रिय नहीं हो पाते हैं इसलिए अगर आप भी खुद को कार्य करने की मशीन समझ रहे हैं तो आप अपने शरीर को खराब करने के साथ-साथ अपने दिमाग को भी खराब कर रहे हैं इस आदत को आज ही खत्म करें और एक सामान्य जीवन जिए जितनी आवश्यकता है उतना ही कार्य करें 

चौथी आदत बुरी आदतों की भरमार रखना 

कई व्यक्तियों में आलस्य इतना अधिक होता है कि वह किसी भी काम को ठीक से नहीं कर पाते हैं उनके शारीरिक और मानसिक शक्तियों में अक्सर कमजोरी पाई जाती है और इस कमजोरी का मुख्य कारण होती है उनकी गलत आदतें काम को टालना आवश्यकता से अधिक सोचना बेकार की बातों पर चिंता करना यह सभी दिमाग को कमजोर कर देने वाले लक्षण होते हैं इसलिए यदि सही जीवन जीना है और दिमाग को तेज रखना है तो सबसे पहले अपनी बुरी आदतों को खत्म करें 

पांचवी आदत खुद की बुराई और कमजोरी देखना 

कई बार व्यक्ति के सामने ऐसी परिस्थितियां आ जाती हैं जिनमें वह खुद को असहाय और कमजोर अवस्था में पाते हैं लेकिन इस अवस्था से निकलने के स्थान पर वह स्वयं को ही कमजोर मानने लग जाते हैं खुद की बुराई करना और खुद को कमजोर देखना इंसान की सबसे बड़ी गलती होती है यह कार्य जीवन में कभी नहीं करना चाहिए क्योंकि यह आपके जीवन की प्रगति में बाधा बनती है इससे आपके मानसिक स्वास्थ्य को हानि पहुंचती है आत्मविश्वास में कमी आती है अपने दिमाग को तेज बनाए रखने के लिए खुद की बुराई कभी दूसरों के सामने नहीं करनी चाहिए या स्वयं ही स्वयं की बुराई कभी नहीं करनी चाहिए स्वयं को सकारात्मक बा बातें बोलनी चाहिए ताकि दिमाग सही दिशा में कार्य कर सके 

छठी आदत दिमाग में अतीत की नकारात्मक बातों को इकट्ठा रखना 

कई बार व्यक्ति के जीवन में कुछ ऐसी अप्रिय घटनाएं हो जाती हैं जिन्हें वह चाहकर भी नहीं भुला पाते हैं लेकिन एक सत्य यह भी है कि आप पीछे के समय में जाकर उस घटना को नहीं बदल सकते हैं वह समय तो बीत चुका है और उसका जो भी प्रभाव आपके जीवन पर पड़ने वाला था वह पड़ चुका है तो फिर दिमाग में अतीत की यादों को रखना कूड़ा इकट्ठा करने के समान ही होता है जब अधिक कूड़ा इकट्ठा हो जाता है तो उसमें से बदबू आने लगती है और वह सड़ने लगते हैं दिमाग के साथ भी कुछ ऐसा ही है आप जितना अधिक पुरानी बातों को और नकारात्मक बातों को इकट्ठा रखेंगे वह आपको उतना ही अधिक परेशान करेगी इसलिए जीवन में हमेशा आगे की ओर देखना चाहिए और पुरानी बातों से जितना जल्दी हो हो सके पीछा छुड़ाना चाहिए 

सातवी आदत दूसरों से अधिक उम्मीदें रखना 

संसार में एक से एक दयालु और सच्चे व्यक्ति हैं

जिन्होंने सभी की सहायता की है किंतु कई बार हम अपने आचरण के कारण दूसरों से भी आशाएं लगा लेते हैं कि वह भी हमारी सहायता करेंगे और जब वह हमारी सहायता नहीं करते हैं तो हमें कष्ट पहुंचता है इस संसार में कोई किसी का नहीं है इसलिए दूसरों से आशाएं लगाना आज ही बंद दीजिए कोई आपकी अपेक्षाओं को पूर्ण नहीं करने वाला है यह आदत आपके दिमाग को कमजोर बनाती है यदि अपेक्षाएं करनी है तो स्वयं से अपेक्षा करो ताकि जीवन में कुछ बड़ा कर सको दूसरों से अपेक्षा तो केवल और केवल दुख ही देती है 

आठवी आदत बुरे लोगों का साथ नहीं छोड़ पाना 

हम सब अच्छी तरह से जानते हैं कि हमारे आसपास किस तरह के लोग रहते हैं और उनका हमारे जीवन पर क्या प्रभाव पड़ ने वाला है जब कभी आपको लगे कि किसी का साथ आपको नुकसान पहुंचा रहा है या आपके जीवन को प्रभावित कर रहा है तो उसे वहीं पर समाप्त कर देना उचित होता है क्योंकि बुरे लोग आपको कष्ट और नकारात्मकता के अलावा कुछ नहीं देने वाले हैं ऐसे लोगों से दूरी बनाकर ही जीवन में सफलता पाई जा सकती है किंतु कई बार ऐसा होता है कि वह हमारे करीबी होते हैं और हम चाहकर भी उनसे पीछा नहीं छुड़ा सकते भले ही हम उन्हें अपने जीवन से निकाल नहीं सकते लेकिन उनसे दूरी बनाकर अवश्य रह सकते हैं बुरे लोग आपके दिमाग को प्रभावित करते हैं इसलिए दिमाग को सही रखने के लिए ऐसे लोगों के संपर्क में बिल्कुल ना रहे 

नवी आदत स्वयं की गलतियों को अनदेखा करना 

कई बार व्यक्ति से यदि कोई गलती हो जाए तो वह उसे पूरी तरह से अनदेखा करते हैं और जिम्मेदारी लेने से बचते हैं जबकि यह आदत आपके जीवन को असफलता की ओर ले जाती है कभी भी यदि आपसे गलती हो जाए तो उसे पूरे मन से स्वीकार कर लेना चाहिए साथ ही क्षमा मांग लेनी चाहिए इस संसार में पश्चाताप से बड़ी कोई क्षमा नहीं होती है यदि गलती करने के बाद आपको सच्चे दिल से पश्चाताप है तो उसका पाप आपको कभी नहीं लगता जो व्यक्ति जिम्मेदारी लेने से डरते हैं वह दिमाग से कमजोर होते हैं जबकि सच्चाई के साथ सभी का सामना करने वाला व्यक्ति अधिक हिम्मती और दिमाग से तेज होता है 

दसवीं आदत अपनी असफलताओं के लिए दूसरों को जिम्मेदार मानना 

सफलता और असफलता एक ही सिक्के की दो पहलू हैं दोनों ही परिस्थितियों में हमें स्वयं इस बात का आकलन करना चाहिए कि यह सफलता या असफलता हमारे जीवन की महत्त्वपूर्ण घटना है और इसकी सारी जिम्मेदारी हमारी है कई बार यदि हम किसी काम में असफल हो जाते हैं तो हम उसके लिए अपने माता-पिता गुरु इत्यादि को जिम्मेदार मानने लगते हैं यह आदतें आपके दिमाग से कमजोर बनाती हैं कभी भी अपनी असफलता के लिए दूसरों को जिम्मेदार नहीं बनाना चाहिए बल्कि स्वयं की मेहनत पर विश्वास रखना चाहिए इस प्रकार बुद्ध ने उस व्यक्ति को ऐसी आदतें बताई जो उसके दिमाग को दिन रात कमजोर कर रही थी उस व्यक्ति ने सच्चे मन से बुद्ध को बताया कि हां यह सब उसकी आदतें हैं और वह अपनी इन गलत आदतों के लिए स्वयं को जिम्मेदार मानता है साथ ही वह वादा करता है कि वह इन सभी गलत आदतों से छुटकारा पाने के लिए पूरा प्रयास करेगा धन्यवाद  

 

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