मेटा फिजिक्स

What is Metaphysics? मेटा फिजिक्स

What is Metaphysics? :-  वैसे मेटा शब्द सुनते ही आपके जहन में किस चीज का ख्याल आता है शायद कंपोजर म्यूजिक लेबल ईयर ऑफ रिलीज ड्यूरेशन लैंग्वेज वगैरह वगैरह तो जब किसी म्यूजिक लाइब्रेरी की डाटा एंट्री की जाती है तो यह सारे मेटा डाटा फिल किए जाते हैं 

अब मेटा का एक्चुअल मीनिंग देखें 

तो मेटा यह वर्ड आया है ग्रीक वर्ड मेटा से इसके कई मतलब हैं जैसे कि विद आफ्टर अलोंग साइड ऑन टॉप ऑफ और बियोंड एग्जांपल के लिए मेटाफर का मतलब होता है फॉरा यानी एक्ट ऑफ कैरिंग और मेटा मतलब समथिंग बियोंड आसान भाषा में किसी भी चीज को आगे ले जाना और सिंपलीफाई करें तो मेटा का मतलब है चेंज ऑफ प्लेस या चेंज ऑफ स्टेट और मेटा से ही जड़ा हुआ है 

मेटा फिजिक्स तो आज का  पोस्ट मेटा फिजिक्स की समझ बढ़ाएगा चलिए इसे एक्सप्लोर करते हैं  गवर्नमेंट सर्विस  पर ग्रीक दार्शनिक एरिस्टोटल या अरस्तु का नाम तो आपने सुना ही है उन्होंने सबसे पहले मेटा फिजिक्स इस शब्द का इस्तेमाल किया था 

मेटा फिजिक्स को फिलोसोफी का एक ब्रांच माना जाता है जो एसिस्टेंसिया पदार्थ बीइंग या अस्तित्व और एक्चुअलिटी या वास्तविकता अरस्तु ने जिस कॉन्टेक्स्ट में मेटा फिजिक्स शब्द का इस्तेमाल किया था वह यह था कि उन्होंने मेटा फिजिका कहा था जिसका मतलब है द बुक आफ्टर द बुक अबाउट नेचर यानी द फिजिका जिससे पूरे फिलोसॉफिकल डिपार्टमेंट का रेफरेंस मिलता है जो इसके ब्रॉडर एस्पेक्ट्स को दिखाता है 

स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी के मुताबिक मेटा फिजिक्स का मतलब है 

चीजें जो कि नहीं बदलती है अरस्तु ने कहीं मेटा फिजिक्स को कहा है बीइंग एज सच या जैसा है वैसा ही होना तो कहीं पर कहा है फर्स्ट कॉज या पहला कारण इस मेटा फिजिक्स के कांसेप्ट के चलते ही आज फंडामेंटल नेचर ऑफ रियलिटी क्या है टाइम क्या है स्पेस क्या है क्या ईश्वर का अस्तित्व है ऐसे सारे सवालों पर डिबेट्स या डिस्कशंस होती हैं यही नहीं व्हाट इज चेंज क्या नंबर्स एजिस्ट करते हैं क्यों कोई चीज एजिस्ट करती है ऐसे सवालों पर भी चर्चा चलती रहती है 

18वीं सेंचुरी के जर्मन फिलोसोफर इमानुएल कांत ने कहा था मेटा फिजिक्स एक डार्क ओशन की तरह है जिसका कोई किनारा नहीं है और ना ही इसके लिए कोई लाइट हाउस मौजूद है और इस अंधेरे गहरे समंदर में बहुत से फिलोसॉफिक थॉट्स का मलबा बिखरा हुआ है

 वहीं अमेरिकन फिलोसोफर विलफ्रिड सेलर्स के मुताबिक मेटा फिजिक्स का उद्देश्य यह समझना है कि ब्रॉडर पॉसिबल सेंस में कैसी चीजें आपस में उलझी हुई होती हैं मेटा फिजिक्स के बारे में इन डेप्थ समझ बढ़ाने के लिए यह समझना बहुत ही जरूरी है कि आज के कॉन्टेक्स्ट में मेटा फिजिक्स क्यों जरूरी है 

अभी थोड़ी देर पहले ही हमने जिक्र किया था कि साइंटिस्ट अक्सर ऐसे सवालों का जवाब ढूंढने की कोशिश करते हैं कि टाइम क्या है स्पेस क्या है चीजों का अस्तित्व क्यों होता है या ईश्वर मौजूद है या नहीं अब एक बार को आप भी कहेंगे कि ऐसे एब्स्ट्रेक्ट और एविडेंस रेजिस्टेंट मेटा फिजिकल सवाल पूछने का क्या तुक बनता है या उन चीजों के बारे में बहस ही क्यों करें जिनका हमें कोई सही जवाब नहीं सकता पर मेटा फिजिक्स को डिफेंड करने वाले कहते हैं कि हमने अपने इर्दगिर्द जो भी लिमिटेशंस को सेट कर रखा है मेटा फिजिक्स उन्हें तोड़ने के लिए है 

ताकि हमें किसी भी धुंधली चीज के बारे में क्लियर विजन मिल सके और इसी तरह इंच दर इंच कदम दर कदम बढ़ते हुए ही इंसान ने तरक्की की है 

तो फिजिक्स और मेटा फिजिक्स में फिर क्या अंतर है 

वेल इसका जवाब ढूंढे तो बेशक फिजिक्स और मेटा फिजिक्स में एक ओवरलैप तो है जहां फिजिक्स में साइंटिफिक डाटा और एक्सपेरिमेंट्स मौजूद हैं और फिजिक्स रियलिटी के ज्यादा करीब है वहीं मेटा फिजिक्स में बस एक सोच झलकती है ऐसा लगता है कि मेटा फिजिशियंस आराम से अपनी कुर्सी पर बैठे-बैठे बस ऐसे ही विचारों पर सोचते रहते हैं कि टाइम क्या है स्पेस क्या है यह चीजें क्यों एजिस्ट करती है लेकिन जब बात आती है रियलिटी की तो कुछ फिलोसोफर आर्गू करते हैं बहस करते हैं कि ऐसे ढेर सारे सवाल हैं जो फिजिक्स से भी आगे हैं 

क्योंकि फिजिक्स में हम उन्हीं चीजों को इन्वेस्टिगेट कर सकते हैं जिनका फिजिकली पता हम लगा सकते हैं वहीं फिलोसोफर या मेटा फिजिशियंस मानते हैं कि जो हम इन्वेस्टिगेट कर सकते हैं हमेशा वैसा नहीं होता है अब फिजिक्स को मेटा फिजिक्स से अलग करने का एक क्विक तरीका यह भी है कि साइंस का कंसर्न रहता है किसी स्पेसिफिक रियलिटी के हाउ या कैसे का पता लगाना वहीं मेटा फिजिक्स का जनरल कंसर्न रहता है व्हाट एंड व्हाई पे इसे कुछ ऐसे समझिए एक फिजिसिस्ट ये इन्वेस्टिगेट करेगा कि ब्रह्मांड की उत्पत्ति कैसे हुई है और और वो इसके पीछे की थ्योरी बताएगा और इसके फंडामेंटल लॉज का भी जिक्र करेगा 

वहीं एक मेटा फिजिशियन शायद यह सवाल पूछेगा कि ब्रह्मांड अस्तित्व में क्यों है और इसके नियम ऐसे ही क्यों हैं तो सवाल यह है कि मेटा फिजिक्स किस तरह के सवालों के जवाब इन्वेस्टिगेट करता है वेल कुछ एग्जांपल तो आपने ऑलरेडी जान ही लिए हैं 

आइए कुछ और एग्जांपल्स जानते हैं जैसे व्हाट इज द रिलेशनशिप बिटवीन माइंड एंड बॉडी किसी भी चीज के अस्तित्व में होने का मतलब क्या है ब्रह्मांड क्या है इसमें मौजूद चीजें कैसे बनी है और क्यों क्या हमारे ब्रह्मांड के अलावा भी कोई ब्रह्मांड है व्हाट इज आइडेंटिटी व्हाट इज चेंज ये चेंज कैसे संभव होता है मरने के बाद हमारा क्या होता है ऐसे ढेरों सवाल हैं जिन परे मेटा फिजिक्स बात करता है अगर हमारी लाइफ में रोल ऑफ मेटा फिजिक्स को एक्सप्लेन करें तो ये उन चीजों से डील करता नजर आता है जो रियलिटी से परे हैं 

जैसे आफ्टर लाइफ आइए इसे डिटेल में समझते हैं दरअसल मेटा फिजिक्स से हमें ग्रेटर सेंस ऑफ सेल्फ अवेयरनेस मिलती है क्योंकि मेटा फिजिक्स की फिलॉसफी में बीइंग और एक्जिस्टेंस या हमारी सत्ता और अस्तित्व की बात होती है इंसान होने के नाते हम अक्सर खुद से यह सवाल करते हैं कि इस दुनिया में हमारे होने का मतलब क्या है या हमारे अस्तित्व के क्या मायने हैं क्योंकि जब लाइफ में कोई सही डायरेक्शन ना हो तो हम एक्जिस्टेंशल क्राइसिस से ूज लगते हैं यही मेटा फिजिकल आइडियाज हमारी मदद करते हैं यह बताकर कि हम किसी बड़े लक्ष्य का हिस्सा हैं और जिंदगी में हमें एक बड़ा रोल प्ले करना है 

हालांकि मेटा फिजिक्स हमें इसका कोई क्लियर आंसर तो नहीं देता है पर हमारी रोजमर्रा की जिंदगी के अलावा भी हम अपने लिए और औरों के लिए बहुत कुछ कर सकते हैं यह जरूर से बताता है 

मेटा फिजिक्स के चलते ही इंसान रिलीजन या धर्म और निराकार चीजों के बीच एक कड़ी को ढूंढ पाता है अब देखा जाए तो अलग-अलग मान्यताओं और सिद्धांतों के चलते धर्म और विज्ञान में बैलेंस बनाना एक चैलेंजिंग काम है 

  1. हालांकि साइंस एक ऐसा सिस्टम है जो नॉलेज पर जोर देता है और हम हमारे सेंस से जो चीजें देखते या महसूस करते हैं साइंस उन्हीं पर विश्वास करता है 
  2. वहीं दूसरी ओर धर्म या रिलीजन भी सच्चाई बताता है लेकिन उनको इंटेंटली वेरीफाई करना मुश्किल है जैसे ईश्वर का अस्तित्व इसी गैप को फिल करने में मेटा फिजिक्स अपना रोल प्ले करता है 
  3. मेटा फिजिक्स रोशनी डालता है कि हमारे आसपास की दुनिया में जो भी चीजें मौजूद है वह किसी ऐसी सत्ता की वजह से है जिसे हम भगवान कहते हैं जिन्होंने इस सृष्टि की रचना की है 

मेटा मेटा फिजिक्स को बकवास कहना या इसके प्रिंसिपल्स को खारिज कर देना आसान लगता है पर मेटा फिजिक्स के चलते ही हम अपनी सोच का दायरा बढ़ाते हैं और हर चीज का एक ब्रॉडर पर्सपेक्टिव ढूंढ निकालते हैं यूनिवर्स में मौजूद चीजें अक्सर हमें अनएक्सप्लेनेबल लगती हैं पर फिर भी हम इनके बारे में सोचते रहते हैं जैसे सूरज कैसे बना यह कब खत्म होगा क्या एलियंस मौजूद है क्या होगा कि अगर धरती पर एलियंस का हमला हो जाए ऐसे हजारों सवाल हमारे जहन में मौजूद हैं सूरज क्या यह ख्याल किसी वक्त पर एक मेटा फिजिकल सवाल रहा होगा पर आज साइंस ने इसका जवाब ढूंढ निकाला है धरती से इसकी दूरी भी हमें पता है सूरज में पैदा होने वाली गर्मी कैसे बनती है उसका धरती पर क्या असर होता है यह सब कुछ हम जानते हैं पर एक समय पर जो चीजें हमारे पूर्वजों को सुपर नेचुरल लगती होंगी 

वह आज साइंस से एक्सप्लेन की जाती हैं और इसीलिए मेटा फिजिक्स इंपॉर्टेंट है मेटा फिजिक्स की पढ़ाई करने के लिए आप बीए इन फिलॉसफी एमए इन फिलॉसफी मास्टर ऑफ फिलोसोफी यानी कि एमफिल और पीएचडी कर सकते हैं फिलॉसफी के पार्ट के तौर पर मेटा फिजिक्स के सिलेबस में बेसिक्स ऑफ मेटा फिजिक्स कॉस्मोलॉजी एंड कॉस्मॉग क्लासिकल मेटा फिजिक्स फिलोसॉफिकल नोशंस ऑफ आइडेंटिटी एंड चेंज रिलीजियस फिलोसॉफिकल एंड साइंटिफिक पर्सपेक्टिव ऑफ गॉड फिलोसॉफिकल नोशंस ऑफ माइंड एंड मैटर ऑब्जेक्ट्स एंड देयर प्रॉपर्टीज रिलीजन एंड स्पिरिचुअलिटी और स्पेस एंड टाइम जैसे टॉपिक्स कवर किए जाते हैं सिंबायोसिस स्कूल ऑफ लिबरल आर्ट्स नि एम कॉलेज अन्नामलाई यूनिवर्सिटी जेएनयू और नालंदा यूनिवर्सिटी जैसे इंस्टीट्यूशन से आप फिलॉसफी की पढ़ाई करते हुए मेटा फिजिक्स की समझ बढ़ा सकते हैं 

वहीं विदेश में आप सिडनी की ऑस्ट्रेलियन कैथलिक यूनिवर्सिटी किंग्स कॉलेज लंडन नेदर जैंड्स की रेड बाउड यूनिवर्सिटी यूनिवर्सिटी ऑफ ससेक्स और यूनिवर्सिटी ऑफ मैनचेस्टर इंग्लैंड में आप फिलॉसफी पढ़ सकते हैं और अपनी पढ़ाई मास्टर्स और रिसर्च पूरी करने के बाद आप मेटा फिजिक्स एक्सपर्ट राइटर काउंसलर एडवाइजर मोटिवेशनल स्पीकर लेक्चरर और टीचर या प्रोफेसर बन सकते हैं दुनिया के मोस्ट इन्फ्लुएंस मेटा फिजिशियंस में अरस्तु प्लेटो पर्म आइट इनुल कांत हेराक्लियम जॉन लॉक और बारूक स्पिनोजा का नाम आता है इनके थॉट्स को दुनिया ने माना है और अभी भी मान रही है वैसे विज्ञान में मेटा फिजिक्स की यही बात इंस्पायर करती है कि साइंस जिस चीज की एक्सप्लेनेशन देता है चीजें उसके आगे भी हैं 

अगर आप फिलोसोफी के स्टूडेंट है या नहीं भी है और मेटा फिजिक्स को गहराई से समझना चाहते हैं तो फॉर लर्निंग एंड कांसेप्चुअल पर्पस आप घोस्ट इन द शेल द फाउंटेन द स्किन आई लिव इन द ट्री ऑफ लाइफ स्टॉकर द साइंस ऑफ स्लीप द मेट्रिक्स एडवांटेजेस एंटर द वॉइड और वेकिंग लाइफ जैसी मेटा फिजिक्स बेस्ड मूवीज को देख सकते हैं 

उम्मीद है कि मेटा फिजिक्स जैसे फिलोसॉफिकल सब्जेक्ट पर हम आपकी नॉलेज को बढ़ा पाए हैं अगर  पोस्ट अच्छी लगी है तो शेयर जरूर कीजिएगा और कमेंट सेक्शन में आप बता सकते हैं कि और वह कौन-कौन से सब्जेक्ट्स हैं या टॉपिक्स हैं जिन पर आप अपनी नॉलेज बढ़ाना चाहते हैं जानना चाहते हैं हम कोशिश करेंगे उस पर  पोस्ट बनाकर आप तक जल्दी से जल्दी ला पाए तब तक के लिए जितने भी नए लोग आज हमारी  गवर्नमेंट सर्विस  टीम का हिस्सा बने हैं थैंक यू सो मच  

 

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