Contents
- 1 किसी कंपनी में सीईओ की भूमिका क्या है?
- 2 किसी कंपनी में सीईओ की भूमिका क्या है?
- 2.1 अब अगर सीईओ और सीएफओ के बीच के डिफरेंस को हम समझे तो
- 2.2 नंबर एक स्ट्रेटेजिक प्लानिंग करना सीईओ फाइनल डिसीजंस लेने की पावर रखता है
- 2.3 लेकिन सीईओ बनने के लिए एक्सटेंसिव एक्सपीरियंस की जरूरत होगी
- 2.4 एक सीईओ की सैलरी कितनी होती है?
किसी कंपनी में सीईओ की भूमिका क्या है?
किसी कंपनी में सीईओ की भूमिका क्या है? – CEO के बारे में तो आपने जरुर सुना होगा.. लेकिन इस पोजीशन के बारे में आप डिटेल में नहीं जानते होंगे लेकिन क्योंकि ये एक कम्पनी की मोस्ट इम्पोर्टेन्ट पोजिशंस में से एक है, इसलिए इसके बारे में आपको नॉलेज होनी चाहिए, और वही शेयर करने के लिए हमने आज का ये पोस्ट बनाया है इसलिए पोस्ट के एन्ड तक हमारे साथ बने रहिये, य्हरेड पर, ताकि आप CEO के बारे में सारी जरुरी जानकारियाँ ले सकें और आप कैसे CEO बन सकते हैं, ये भी आपको पता चल सके।
किसी कंपनी में सीईओ की भूमिका क्या है?:- वैसे CEO के बारे में तो आपने जरूर सुना होगा मतलब बहुत ही इंपॉर्टेंट रोल है लेकिन उसकी पोजीशन क्या होती है उसका रोल एंड जिम्मेदारियां क्या होती है और बाकी सिमिलर पोजीशन से वह किस तरह अलग है इसके बारे में शायद थोड़ा पता हो या ना पता हो दोनों ही केसेस में यह पोस्ट आपको आज बहुत सारी जानकारियां देने वाला है और यह बहुत जरूरी भी है तो अपना कुछ टाइम स्पेंड कीजिए इस पोस्ट पर क्योंकि हो सकता है कि कभी यह जिम्मेदारी आपको ही मिल जाए लेकिन उसके लिए हमें यह पता भी तो होना चाहिए ना कि एट यह जिम्मेदारी क्या है यह रोल क्या है तो चलिए शुरू करते हैं और जानते हैं
किसी कंपनी में सीईओ की भूमिका क्या है?
सीईओ के बारे में डिटेल में सीईओ यानी चीफ एग्जीक्यूटिव ऑफिसर यूजुअली कंपनी का हाईएस्ट रैंकिंग मेंबर होता है और कंपनी के लिए स्ट्रेटेजिक प्लानिंग और डिसीजन मेकिंग के लिए रिस्पांसिबल होता है सीईओ एक बिजनेस या ऑर्गेनाइजेशन का एक्टिंग लीडर होता है जो मैनेजमेंट टीम्स और एंप्लॉयज के साथ कंपनी के वर्क पैटर्न और प्रोजेक्ट्स के बारे में बात भी करता है और अदर बिजनेसेस के साथ नेगोशिएट भी करता है
मेजर कॉर्पोरेट डिसीजंस को लेना हो ओवरऑल ऑपरेशंस और रिसोर्सेस को मैनेज करना हो और बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स और कॉरपोरेट ऑपरेशंस के बीच कम्युनिकेशन बनाना सीईओ की ही जिम्मेदारियां होती है
अक्सर कंपनी का ओनर या कंपनी के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स सीईओ को अपॉइंट्स का पार्ट भी हो सकता है वो बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स के प्रति अकाउंटेबल होता है और अक्सर उस कंपनी या ऑर्गेनाइजेशन का पब्लिक फेस होता है सीईओ के पास उस इंडस्ट्री का काफी एक्सपीरियंस होता है जिसके दम पर वह कंपनी को सक्सेस और प्रॉफिटेबिलिटी तक ले जाने में गाइडेंस देता है
सीईओ का रोल हर कंपनी में थोड़ा डिफरेंट भी हो सकता है क्योंकि यह कंपनी की साइज कल्चर और कॉरपोरेट स्ट्रक्चर पर डिपेंड करता है लार्ज कॉरपोरेशंस में सीईओ केवल
हाई लेवल स्ट्रेटेजिक डिसीजन से ही डील करता है
जबकि स्मॉल कंपनीज में एक सीईओ डे टू डे फंक्शंस में भी इंवॉल्व हो सकता है
अब अगर आप एक कंपनी में सीईओ और ओनर की पोजीशंस के बारे में सोच कर के थोड़ा कंफ्यूज हो रहे हैं तो आपको बता देते हैं कि सीईओ एक फंक्शनल टाइटल होता है जिसमें डीली लीडरशिप ड्यूटीज और रिस्पांसिबिलिटीज इंक्लूड होती हैं वहीं ओनरशिप एक लीगल डेजिग्नेशन है
बिजनेस ओनर उस बिजनेस या कंपनी का मालिक होता है जबकि सीईओ अपने एक्सपीरियंस से कंपनी को ग्रोथ दिलाने के लिए काम करता है एक सीईओ कंपनी का ओनर भी हो सकता है और एक ओनर भी कंपनी का सीईओ बन सकता है
अब अगर सीईओ और सीएफओ के बीच के डिफरेंस को हम समझे तो
सीईओ जहां चीफ एग्जीक्यूटिव ऑफिसर होता है वहीं सीएफओ चीफ फाइनेंशियल ऑफिसर होता है सीईओ जहां कंपनी के जनरल ऑपरेशंस को मैनेज करता है
वहीं सीएफओ का फोकस स्पेसिफिकली फाइनेंशियल मैटर्स पर ही होता है इसी तरह सीईओ और सीओओ भी एक दूसरे से अलग पोजीशंस होती है क्योंकि सीओओ यानी चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर होता है और यह पोजीशन सीईओ के बाद सेकंड हाईएस्ट पोजीशन होती है सीओओ ह्यूमन रिसोर्सेस का हेड होते हैं और उनकी जिम्मेदारियां एडमिनिस्ट्रेटिव ड्यूटीज पूरी करने के साथ-साथ रिक्रूटमेंट लीगल पेरोल और ट्रेनिंग होते हैं सीईओ का फोकस लॉन्ग टर्म स्ट्रेटेजी पर होता है और उन्हें बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स को रिपोर्ट करना होता है
जबकि सीओओ सीईओ को रिपोर्ट करते हैं तो इन डिफरेंट पोजीशंस के बीच के डिफरेंस को जान लेने के बाद अब जान लेते हैं एक सीईओ के रोल्स एंड रिस्पांसिबिलिटीज के बारे में जिसमें कंपनीज इंडस्ट्रीज और ऑर्गेनाइजेशंस के साइज के अकॉर्डिंग वेरिएशन मिल सकता है लेकिन जनरली एक सीईओ इन टास्क को पूरा करता है
नंबर एक स्ट्रेटेजिक प्लानिंग करना सीईओ फाइनल डिसीजंस लेने की पावर रखता है
उसकी स्ट्रेटेजिक प्लानिंग स्किल्स बहुत ही जबरदस्त होती है सीईओ की राइट स्ट्रेटेजिक प्लानिंग ही कंपनी को ग्रोथ और प्रोग्रेस दिलाती है स्ट्रेटेजिक इंप्लीमेंटेशन को सुपरवाइज करना भी एक सीईओ की जिम्मेदारी होती है ताकि उनकी स्ट्रेटेजी सही तरह से इंप्लीमेंट हो सके
नंबर दो कंपनी को रिप्रेजेंट करना सीईओ कंपनी के पब्लिक फेसिंग मेंबर होते हैं
हाई पब्लिक प्रोफाइल वाली लार्ज कॉरपोरेशंस में सीईओ ही मीडिया में प्रोडक्ट अनाउंसमेंट्स करते हैं और कन्वेंशंस में लीड स्पीकर होते हैं कंपनी के ऑफिशियल स्टेटमेंट्स भी सीईओ ही प्रेजेंट करते हैं
नंबर तीन कॉर्पोरेट पॉलिसी सेट करना
कंपनी की पॉलिसीज को सेट करना और कंट्रोल करना एक सीईओ की जॉब का इंपॉर्टेंट पार्ट होता है और यह अक्सर प्रोफेशनल और बिहेवियरल पॉलिसीज बनाते हैं
नंबर चार मार्केट्स को मॉनिटर करना
एक सीईओ को कंपनी के प्रति अपनी रिस्पांसिबिलिटीज फुलफिल करने के लिए उस इंडस्ट्री में होने वाले डेवलपमेंट्स के लिए अपडेट रहना होता है और इसके लिए वह इंपॉर्टेंट ट्रेंड्स और इंडिकेटर्स का पता लगाता है जिसके लिए मार्केट्स को मॉनिटर करना होता है एक सीईओ जितना अपडेट और इफॉर्म होगा उतना ही बेहतर तरीके से वह अपनी कंपनी की प्लानिंग के लिए राइट डिसीजंस ले सकेगा और उतनी ही इफेक्टिवली उन डिसीजंस और स्ट्रेटेजी को इंप्लीमेंट कर पाएगा साथ ही कंपनी की परफॉर्मेंस को मॉनिटर करना भी सीईओ का टास्क होता है क्योंकि अल्टीमेटली कंपनी की फाइनेंशियल परफॉर्मेंस के लिए वही जिम्मेदार होता है
नंबर पांच रिस्क मिनिमाइजेशन करना
एक सीईओ रिस्क मिनिमाइजेशन का यूज करके कंपनी की सक्सेस को प्रोटेक्टेड रखता है इसके लिए वह कंपनी के सामने आने वाले रिस्क और नेगेटिव इफेक्ट्स को पहले से ही ऑब्जर्व करके मिनिमाइज करने की कोशिश करता है ताकि कंपनी पर इनका बुरा असर कम से कम हो सके और कंपनी की ग्रोथ में कोई भी रुकावट ना आए
नंबर छह बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स के साथ कम्युनिकेट करना
कंपनी के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स के साथ कम्युनिकेट करने की जिम्मेदारी भी सीईओ की ही होती है यह बोर्ड ही सीईओ को हायर करता है ताकि वह कंपनी या ऑर्गेनाइजेशन में बोर्ड अप्रूवल स्ट्रेटेजिक प्लान एग्जीक्यूट करें बोर्ड सीईओ को एडवाइस देता है और सीईओ ही उन एडवाइस को इस तरह कंपनी वर्क में मैनेज करता है जिससे बोर्ड के अप्रूव किए गए प्लान पर चलते हुए कंपनी को आगे बढ़ा या जा सके तो
इतनी सारी ड्यूटी जिम्मेदारियां पूरी करने के लिए एक सीईओ का स्किल्ड और कॉन्फिडेंट होना जरूरी है उसमें लीडरशिप क्वालिटी होना बेहद जरूरी है इंडस्ट्री और मार्केट की डीप अंडरस्टैंडिंग भी एक सक्सेसफुल सीईओ की पहचान होती है उसकी कम्युनिकेशन स्किल्स ही एंप्लॉयज और बोर्ड के साथ क्लियर कम्युनिकेट करने का रास्ता खोलती है उसकी डाटा एनालिसिस स्किल्स और प्रॉब्लम सॉल्विंग एटीट्यूड कंपनी को आगे बढ़ाने में मददगार बनते हैं और उसकी इंप्रेसिव पर्सनालिटी उसे मीडिया में कंप को रिप्रेजेंट करने में हेल्प करती है
साथ ही इन्वेस्टर्स और क्लाइंट्स पर इफेक्टिव और पॉजिटिव इंप्रेशन भी डालती है जिसका बेनिफिट कंपनी को मिलता है तो अब अगर आपको लगता है कि सीईओ की रेपुटेड और हाईली रैंकड पोजीशन को आप भी डिजर्व करते हैं और अपने एफर्ट्स के दम पर इस पोजीशन तक पहुंचना चाहते हैं
तो आपको यहां तक पहुंचने का रास्ता भी बता देते हैं यानी अब सीईओ बनने का प्रोसीजर जान लेते हैं
तो सीईओ बनने के लिए सबसे पहले ना आपके पास बैचलर डिग्री होनी चाहिए लेकिन क्योंकि आपको अपनी इंडस्ट्री का मास्टर बनना होगा इसलिए मास्टर डिग्री आपके लिए आगे का रास्ता खोल देगी इसलिए केवल ग्रेजुएट होकर के मत रुकिए मास्टर भी कीजिए जैसे कि एमबीए ताकि इस जॉब रोल के लिए रिक्वायर्ड नेसेसरी स्किल्स आपके पास आ जाएं एकेडमिक डिग्री के
अलावा अगर आप अपने फील्ड के एक्सपर्ट बनने के लिए सर्टिफिकेशन भी ले लेंगे तो बहुत ही अच्छा रहेगा इसके बाद आपको एक्सपीरियंस लेने की जरूरत होगी ताकि आपकी टेक्निकल नॉलेज और लीडरशिप कैपेबिलिटीज एनहांस हो सके इसके बाद आपके पास एजुकेशन फॉर्मल ट्रेनिंग और सर्टिफिकेशंस आ जाएंगे
लेकिन सीईओ बनने के लिए एक्सटेंसिव एक्सपीरियंस की जरूरत होगी
इसके लिए आपको एंट्री लेवल या मिड लेवल पोजीशन से स्टार्ट करना होगा इस दौरान आप रिलेवेंट वर्क एक्सपीरियंस गेन कर लेंगे और सीईओ की पोजीशन के लिए जरूरी सॉफ्ट स्किल्स और टेक्निकल नॉलेज को भी डेवलप करते जाएंगे जिसके बाद आप इस पोजीशन के लिए एक डिजर्विंग कैंडिडेट बन जाएंगे और अपने एफर्ट्स और एक्सपीरियंस के दम पर सीईओ की पोजीशन भी हासिल कर पाएंगे
कितने टाइम में सीईओ की पोजीशन तक पहुंच सकता है
कुछ कैंडिडेट्स को यहां तक पहुंचने में 8 से 9 साल लग जाते हैं जिसमें बैचलर डिग्री और मैनेजमेंट रोल्स में कम से कम 5 साल का प्रोफेशनल एक्सपीरियंस इंक्लूड होता है वहीं कुछ कैंडिडेट्स को इससे ज्यादा का टाइम भी लग सकता है जो उनकी एडवांस डिग्री ज्यादा एक्सपीरियंस और कंपनी साइज की वजह से हो सकता है
एक सीईओ की सैलरी कितनी होती है?
वैसे इतने हार्ड वर्क और पेशेंस के बाद एक सीईओ को इंडिया में मिलने वाली एवरेज सैलरी 31 लाख पर एनम हुआ करती है जो कंपनी टू कंपनी वेरी करती है
तो अब आप यह जान ही गए हैं कि सीईओ का रोल कितना इंपॉर्टेंट होता है एक कंपनी में और उसके बिना कोई भी बिजनेस रन करना पॉसिबल नहीं हो सकता ऐसे में यह जॉब पोजीशन आपके लिए कितनी सूटेबल हो सकती है और क्या इसे आप अपनी ड्रीम डेस्टिनेशन बना बनाना चाहेंगे इस बारे में अब आप क्लियर सोच भी सकते हैं और कमेंट में हमें लिख कर के शेयर भी कर सकते हैं
वैसे इसी के साथ कोई और सवाल जो आप जानना चाहते हैं उसके बारे में जरूर बताइए साथ ही साथ यह जानकारी आपको कैसी लगी यह बताना बिल्कुल ना भूले तो उस पोस्ट को ज्यादा से ज्यादा लोगों के साथ शेयर करना बिल्कुल भी ना भूले यह बहुत जरूरी है बिकॉज आजकल बहुत सारे स्टार्टअप बिजनेस सब कुछ चल रहा है लेकिन कभी-कभी हम ये सोचते हैं कि यार हम अकेले ही सब कुछ कर लेंगे हमें क्या जरूरत है सीईओ और सीएफओ और बाकी की सारी चीजों की लेकिन क्यों जरूरी है और उनके आने से कंपनी पर क्या इंपैक्ट पड़ता है यह सब एटलीस्ट जानना जरूरी है
ताकि हम सही डिसीजन ले सके तो मिलेंगे