Contents
इंटरनेट की नई लड़ाई: एलन मस्क vs जियो और एयरटेल
नमस्कार, मैं मिलन खांडेकर और आप देख रहे हैं “गवर्नमेंट सर्विस”। दुनिया के सबसे अमीर आदमी एलन मस्क भारत में सैटेलाइट से इंटरनेट देने की प्लानिंग कर रहे हैं। लेकिन, इसे रोकने के लिए टॉप बिजनेसमैन मुकेश अंबानी और एयरटेल के फाउंडर सुनील मित्तल साथ आ गए हैं।
भारत में इंटरनेट की अगली जंग: एलन मस्क बनाम जियो और एयरटेल
नमस्कार, मैं मिलन खांडेकर और आप देख रहे हैं ” गवर्नमेंट सर्विस “। दुनिया के सबसे अमीर शख्स एलन मस्क भारत में सेटेलाइट के माध्यम से इंटरनेट सेवा प्रदान करना चाहते हैं। हालांकि, इस पहल को रोकने के लिए देश के सबसे धनी व्यक्ति मुकेश अंबानी और एयरटेल के मालिक सुनील मित्तल एक साथ खड़े हो गए हैं। मित्तल और अंबानी का एकजुट होना इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि पिछले दशक में भारत के टेलीकॉम बाजार पर कब्जे के लिए एक तीव्र प्रतिस्पर्धा चली है, जिसमें जियो प्रमुख खिलाड़ी बनकर उभरा है और एयरटेल को कड़ी टक्कर दी है।
इस वर्चस्व की लड़ाई के बीच अब ये दोनों कंपनियां मस्क के “स्टारलिंक” नामक सेटेलाइट इंटरनेट सेवा को रोकने की कोशिश कर रही हैं। स्टारलिंक का लाभ यह है कि इस सेवा के लिए टावरों की आवश्यकता नहीं होती, जिससे यह सुदूर इलाकों में, जहाँ टेलीकॉम इंफ्रास्ट्रक्चर नहीं है, वहां भी इंटरनेट पहुंचा सकती है। इसके लिए सिर्फ एक छोटा एंटीना या डिश की आवश्यकता होती है, जिससे चाहे आप पहाड़ों पर हों या रेगिस्तान में, आसानी से इंटरनेट एक्सेस कर सकते हैं।
भारत सरकार की नई टेलीकॉम नीति के तहत, सेटेलाइट आधारित सेवाओं के लिए स्पेक्ट्रम आवंटित किया जाएगा, लेकिन इसकी नीलामी नहीं की जाएगी। इस स्थिति से एयरटेल और जियो जैसी कंपनियां असंतुष्ट हैं, क्योंकि उन्हें टेरेस्ट्रियल इंटरनेट सेवाओं के लिए नीलामी प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है। सुनील मित्तल ने इस पर जोर दिया है कि अगर मस्क सीधे ग्राहकों को इंटरनेट सेवा देंगे, तो उन्हें भी नीलामी प्रक्रिया से गुजरना चाहिए, जैसा कि अन्य कंपनियों को करना पड़ता है।
हालांकि, सरकार का रुख स्पष्ट है कि सेटेलाइट स्पेक्ट्रम का आवंटन नीलामी के बजाय सीधे किया जाएगा। इस सेवा को मुख्य रूप से दूरस्थ क्षेत्रों के लिए उपयुक्त माना जा रहा है, जहां पारंपरिक टावर या तारों का नेटवर्क नहीं है। साथ ही, टेरेस्ट्रियल इंटरनेट की तुलना में सेटेलाइट इंटरनेट अभी भी महंगा है, जिससे यह फिलहाल मुख्यधारा की इंटरनेट सेवाओं के लिए खतरा नहीं है।
मस्क की स्टारलिंक सेवा के आगमन से भारत का इंटरनेट बाजार अचानक से बदल सकता है, जैसा कि जियो ने सस्ती सेवाओं के जरिए किया था। लेकिन, इस बार मामला अलग है। सेटेलाइट इंटरनेट अभी तक उतना सस्ता नहीं है और इसका फोकस दूरस्थ इलाकों पर है।
मुकेश अंबानी और सुनील मित्तल, जो टेलीकॉम सेक्टर में प्रतिद्वंद्वी रहे हैं, अब इस मुद्दे पर एकजुट हो गए हैं। दोनों ने केंद्रीय टेलीकॉम मंत्री को पत्र लिखकर स्पेक्ट्रम नीलामी की मांग की है, यह तर्क देते हुए कि सुप्रीम कोर्ट का 2012 का निर्णय भी नीलामी का समर्थन करता है।
आने वाले समय में हमें एक नई तरह की टेलीकॉम लड़ाई देखने को मिल सकती है—जहां भारतीय कंपनियां एलन मस्क की सेटेलाइट इंटरनेट सेवाओं को रोकने का प्रयास करेंगी।
कॉम्पिटिशन का बैकग्राउंड
मित्तल और अंबानी का टीम-अप इसलिए इम्पोर्टेंट है क्योंकि पिछले 10 साल से भारत के टेलीकॉम मार्केट में टफ कॉम्पिटिशन चल रही है। इस रेस में जियो ने एयरटेल को हार्ड फाइट दी है।
स्टारलिंक का एडवांटेज
स्टारलिंक का मेन फायदा है कि इसे टावर नहीं चाहिए। इससे ये सर्विस दूर-दराज के इलाकों में भी आसानी से पहुंच सकती है, जहां नॉर्मल नेटवर्क नहीं जा पाते।
गवर्नमेंट की नई पॉलिसी
नई टेलीकॉम पॉलिसी के तहत, सैटेलाइट सर्विसेज के लिए स्पेक्ट्रम दिया जाएगा, पर ऑक्शन से नहीं बेचा जाएगा। एयरटेल और जियो इससे खुश नहीं हैं।
मित्तल का आर्गुमेंट
सुनील मित्तल का कहना है कि अगर मस्क डायरेक्ट कस्टमर्स को इंटरनेट देंगे, तो उन्हें भी ऑक्शन में हिस्सा लेना चाहिए।
सैटेलाइट इंटरनेट का फ्यूचर
फिलहाल, सैटेलाइट इंटरनेट नॉर्मल इंटरनेट से महंगा है। इसलिए ये अभी मेनस्ट्रीम इंटरनेट के लिए बड़ा खतरा नहीं है।
अंबानी-मित्तल का अलायंस
अंबानी और मित्तल, जो लंबे टाइम से कॉम्पिटिटर रहे हैं, अब इस इश्यू पर साथ आ गए हैं। दोनों ने टेलीकॉम मिनिस्टर को लेटर लिखकर स्पेक्ट्रम ऑक्शन की डिमांड की है।
कंक्लूजन
आने वाले टाइम में हम एक नई तरह की टेलीकॉम कॉम्पिटिशन देख सकते हैं – जहां इंडियन कंपनियां एलन मस्क की सैटेलाइट इंटरनेट सर्विसेज को रोकने की कोशिश करेंगी।