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सर्दी-ज़ुकाम होने पर क्या फल खाने चाहिए, जानिए एक्सपर्ट क्या कहते हैं?
सर्दियों में खासी जुकाम होना कोई बड़ी बात नहीं है पर अगर आपकी इम्युनिटी कमजोर है तो आपको यह ज्यादा आसानी से होता है ठीक होने में भी समय लगता है अब ठंड में सर्दी जुकाम होने पर आपने अक्सर घर के बड़े बुजुर्गों को यह बोलते हुए सुना होगा कि जुकाम है खांसी है फल मत खाओ या फिर यह वाला फल मत खाओ इसी से जुड़े कुछ सवाल हमसे सेहत पर पूछे गए हैं
- पहला क्या सर्दी जुकाम होने पर फल नहीं खाने चाहिए खास तौर पर सर्दियों में
- दूसरा सवाल सर्दी जुकाम होने पर कौन से नहीं खाने चाहिए
- तीसरा सवाल सर्दी जुकाम होने पर कौन से फल खाना सेफ है
सुनिए एक्सपर्ट क्या कहते हैं सर्दियों के मौसम में सर्दी जुकाम खांसी से पीड़ित होना आम बात है अधिकतर लोगों को सर्दियों के मौसम में काफी खांसी और जुखाम हो जा और एक बार हो जाए तो वह जल्दी से ठीक नहीं होता है तो ऐसे में हम लोग हमेशा कशमकश में रहते हैं कि क्या खाएं और क्या ना खाएं
खासकर फलों के बारे में हम लोग को बहुत कंफ्यूजन रहता है बड़े बूढ़े कहते हैं यह फल खाओ और यह ना खाओ चलिए आज हम बात करते हैं कि अगर आपको सर्दी खांसी हो रही है तो आपको कौन से फल खाने चाहिए और कौन से नहीं खाने चाहिए
तो पहले नंबर पे आता है कि ठंडे तासीर वाले फल हमें नहीं खाने चाहिए
जिसमें आता है खीरा और तरबूज ये फल हमें नहीं खाने चाहिए उसके बाद आता है ज्यादा चीनी वाले फल हमें नहीं खाने चाहिए जैसे अंगूर है चीकू है इनसे क्या होता है कि हमारा बलगम बहुत बढ़ जाता है
तीसरे नंबर पे आते हैं खट्टे फल
खट्टे फल जो है ये बहुत हमारा हिस्टमर एक होता है वो बढ़ाते हैं एसिडिटी बढ़ाते हैं और गले में इरिटेशन देते हैं यह फल हमें बिल्कुल नहीं खाने चाहिए कुछ फल ऐसे हैं जो शरीर में एसिडिटी बढ़ा देते हैं एसिडिटी बढ़ाने से भी हमें काफी परेशानी होती है गले में खराश बढ़ती है और उससे हमारा खांसी और बढ़ जाती है उसके बाद हमें कड़े फल नहीं खाने चाहिए
कड़े फल क्या होते हैं
उसको पचने में टाइम लगता है उससे एसिडिटी होती है गले में खराश आती है तो यह फल भी हमें नुकसान करते हैं इसी तरह नींबू संतरा मोसंबी क्योंकि ये बहुत सिट्रिक और खट्टे फल होते हैं तो ये भी बॉडी में एसिडिटी बढ़ाते हैं हिस्टमर बढ़ाते हैं और इससे हमें जो है खांसी और बलगम बढ़ जाता है
उसके बाद अमरूद क्योंकि ये एक बहुत कड़ा फल होता है इसको पचाने में बहुत दिक्कत होती है तो यह फल भी हमें नहीं खाना चाहिए
हमें जैसे मैंने बोला वाटरमेलन क्या है वाटरमेलन एक बहुत वैसे तो बहुत अच्छा फल है है लेकिन इसमें 92% पानी होता है तो यह पानी जो है शरीर में जाके हमारी शरीर की गर्माहट को कम करता है और उससे क्या होता है कि जो वायरस मर जाने चाहिए वो मरते नहीं है बॉडी में गर्मी कम हो जाती है
हमें इस समय पपीता खाना चाहिए
उसमें पेपीन होता है एक एंजाइम जो कि हमारे शरीर में अ बलगम को कम करता है म्यूकस को कम करता है और यह हमें फायदेमंद होता है इसी तरह एप्पल जो है यह हम खांसी और जुकाम में खा सकते हैं और यह हमारे बलगम को कम करता है खांसी को कम करता है और कहा जाता है अ एप्पल द डे कीप्स द डॉक्टर और कफ एंड कोल्ड अवे तो एप्पल खाइए आम खाइए
आम की तासीर गर्म होती है और आम जो है वह खांसी जुकाम में आप खा सकते हैं तो आम खाइए आप हर तरह की बेरीज खा सकते हैं स्ट्रॉबेरी ब्लूबेरी बस बेरीज बेरीज आपकी इम्युनिटी बढ़ाती हैं और खांसी को भी जुकाम को भी कम करती हैं ऐसे तो आप देखिए एक सलाह ये है कि फल खाइए कई लोगों को कोई फल से नुकसान नहीं होता है
लेकिन फ्रिज से तुरंत निकाल के मत खाइए इनको हमेशा रूम टेंपरेचर पे लाइए
तब ये फलों का सेवन करिए देखिए एक बात हमेशा याद रखिए हर इंसान का शरीर अलग होता है इसलिए जरूरी नहीं है कि कोई चीज जो किसी और को सूट कर रही हो वो आपको भी सूट करें एंड वाइस वर्सा इसलिए ठंड में अगर आपको सर्दी जुकाम हो रखा है या फिर आसानी से होता रहता है तो जरूरी है कि आप डॉक्टर से मिलकर अपनी डाइट तय करें
अब बढ़ते हैं सेहत के अगले सेगमेंट की तरफ तन की बात जाने आपकी स्किन कुछ ऐसी क्यों दिखने लगी है क्या आपकी जांघों हिप्स या फिर पैरों पर डिंपल्स जैसे बनते जा रहे हैं स्किन लटक सी रही है इसे सेल्यूलाइट कहते हैं और इसके बारे में हमें बताया डॉक्टर अप्रतिम ने सेल्यूलाइट
एक आम स्किन की कंडीशन है और इसमें स्किन बहुत ही उबड़ खाबड़ लगती है सेल्यूलाइट औरतों में ज्यादा होता है पर ये आदमियों को भी हो सकता है ये अक्सर जांघों पैरों हिप्स और कभी-कभी पेट और ब्रेस्ट पर भी होता है सेल्यूलाइट का मोटापे से कोई भी कनेक्शन नहीं है सेल्यूलाइट दुबले और ओवरवेट दोनों ही तरह के लोगों को हो सकता है
सेल्यूलाइट में स्किन बहुत ही उबड़ खाबड़ इसलिए लगती है
क्योंकि स्किन के अंदर के जो टिशूज हैं फैट मसल्स हैं वो स्किन के कनेक्टिव टिशूज को धक्का देते हैं यानी जो कनेक्टिव टिशूज हैं वह पुश हो रहे होते हैं सेल्यूलाइट का कोई एक कारण कहना मुश्किल है क्योंकि इसके बहुत सारे कारण पाए गए हैं पहला क्योंकि औरतों में ज्यादा होता है इसलिए इसमें एस्ट्रोजन नाम के हॉर्मोन का बड़ा रोल है इसमें एस्ट्रोजन इंसुलिन ग्रोथ हार्मोन थायराइड हार्मोन प्रोलैक्टिन ये सारे हार्मोंस बहुत ही मेजर रोल प्ले करते हैं
दूसरा क्योंकि थायराइड दुबले और ओवरवेट दोनों ही लोगों में पाया जाता है इसलिए इसका मोटापे से भी सीधा कनेक्शन नहीं है लेकिन अगर आप घंटों तक बैठे रहते हैं हिलते नहीं है तो ब्लड सर्कुलेशन कम हो जाता है और उस एरिया में ज्यादा सेल्यूलाइट होता है उसके अलावा कुछ और कारण है जैसे कि स्मोकिंग
स्मोकिंग से ब्लड सप्लाई कम हो जाती है
खून की नलिया पतली हो जाती हैं ब्लड सप्लाई रुकने की वजह से ऑक्सीजन लेवल लो हो जाता है और इसलिए स्मोकर्स में सेल्यूलाइट ज्यादा पाया जाता है अगर सेल्यूलाइट माइल्ड है या बस होना शुरू हो रहा है तो कुछ क्रीम्स है जैसे कि रेटिनोइड्स यानी स्किन के अंदर बनने वाले प्रोटीन जो उसे हेल्दी रखता है दोबारा बनने में मदद करता है उसे बढ़ा सकती हैं इन क्रीम्स को लगाने से सेल्यूलाइट ठीक हो सकता है
इसके अलावा सेल्यूलाइट के लिए जो ट्रीटमेंट्स होते हैं वो आपको किसी भी एडवांस्ड एस्थेटिक क्लिनिक में मिल जाएंगे इसमें लाइट्स लेजर अ अकूस्टिक वेव्स या फिर इंजेक्शन के ट्रीटमेंट होते हैं लाइट और लेजर हमारी स्किन के अंदर जाकर गर्मी पैदा करते हैं जिससे नया कोलाजन बनता है और स्किन स्मूथ हो जाती है समझे
अब बात सेहत के आखरी सेगमेंट की खुराक यानी झक्कास से हेल्थ टिप जानिए छोले और राजवा खाने के बाद इतनी गैस क्यों बनती है
अक्सर वेजीटेरियंस को प्रोटीन के लिए दाल राजमा छोले और सोयाबीन खाने के लिए कहा जाता है लेकिन कई बार ऐसा देखा गया है कि कुछ-कुछ दालों को बचाने में दिक्कत होती है इन्हें खाने के बाद गैस भी बनती है पेट फूलने लगता है और ब्लोटिंग होती है ऐसा क्यों होता है इसके बारे में न्यूट्रीशनिस्ट राशी चौधरी ने अपने बात की है अब देखिए दालों की बात करें तो दालों में प्रोटीन के अलावा भी बहुत सारे पोषक तत्व होते हैं जैसे कि फाइबर कार्बोहाइड्रेट्स विटामिंस वगैरह दाल खाने से गैस क्यों बनती है इसे जानने के लिए सबसे पहले दालों को दो ग्रुप्स में बांटना जरूरी है
- पहला ग्रुप है आकार में छोटी दालों का जैसे कि मूंग की दाल मसूर दाल चना दाल
- दूसरे ग्रुप में आकार में बड़े छोले सोयाबीन और राजमा आते हैं दरअसल
दाल का आकार जितना छोटा होगा उसमें उतना ही ज्यादा मात्रा में अल्फा गैलेक्टो सिडे नाम का एक एंजाइम मौजूद होगा यह एंजाइम कॉम्प्लेक्शन को तोड़कर इन्हें पचाने में मदद करता है और पेट में दाल को फर्मेंट होने से रोकता है फर्मेंटेशन एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें बैक्टीरिया और यीस्ट मिलकर कॉम्प्लेक्टेड से हैं
आपकी आसानी के लिए बता दें कि इसी प्रक्रिया से शराब भी बनती है लेकिन बड़ी दालों में ये अल्फा गैलेक्टोसिडेस एंजाइम की मात्रा कम होती है जिस वजह से इनमें मौजूद कॉम्प्लेक्टेड नहीं पाते और पेट में मौजूद बैक्टीरिया इन्हें फर्मेंट कर देते हैं फर्मेंटेशन की प्रक्रिया के दौरान काफी गैस निकलती है राजमा या छोले खाने के बाद होने वाली ब्लोटिंग और गैस की समस्या इसी वजह से होती है इसलिए कोशिश करिए कि रोजाना दाले मत खाइए या फिर रोजाना ये छोले और राजमा मत खाइए प्रोटीन के लिए दूसरी चीजें आप खा सकते हैं जैसे कि दूध दूध से बनी चीजें और हरी पत्तेदार सब्जियां साथ ही अगर किसी को ऑटोइम्यून बीमारी है जैसे कि लपस या फिर ऑटोइम्यून थायराइड तो बिना डॉक्टर की सलाह के ज्यादा दाल मत खाइए एक बार कंसल्ट कर लीजिए आज सेहत परता ही अगर आप एक डॉक्टर है हमसे कुछ शेयर करना चाहते हैं तो जो ईमेल आईडी इस वक्त आपको अपनी techtalksandeep@gmail.com दिख रही है उस पर हमें एक मेल भेज दीजिए शुक्रिया
I appreciate your fortunate post. It was very funny, and it seems like you’ve reached a much nicer level now. How are we going to talk to one other now?