Motivational story – एक भिकारी की कहानी | Motivational story of Mindset
एक बार की बात है, एक राजा था। वह राजा बहुत ही दयालु और दिलदार था। हमेशा लोगों की मदद करता और उनके दुःख-दर्द को समझता था। राजा अक्सर रात के समय अपने राज्य की हालत जानने के लिए भेस बदलकर, अकेले ही घूमता था, ताकि यह देख सके कि उसके राज्य के लोग सुख-शांति से जी रहे हैं या नहीं। एक रात, जब राजा अपने दौरे से वापस महल की ओर लौट रहा था, तो उसने देखा कि महल से थोड़ी दूरी पर एक बूढ़ा आदमी एक पेड़ के नीचे ठंड से कांप रहा था। सर्दी का मौसम था और उस बूढ़े के पास न तो कोई कंबल था और न ही गर्म कपड़े।
राजा को बूढ़े की हालत देख बहुत दुःख हुआ। वह बूढ़े आदमी के पास गया और उससे पूछा, “क्या तुम्हें ठंड नहीं लग रही है? इतनी सर्दी में, तुम्हारे पास तो कोई कंबल भी नहीं है!”
बूढ़ा आदमी राजा की ओर मुस्कराते हुए बोला, “हाँ, महाराज, मेरे पास कंबल नहीं है, पर मुझे इसकी आदत है। मैं रोज़ इसी तरह ठंड में रहता हूँ।”
राजा को उसकी स्थिति देखकर और भी दुःख हुआ। उसने तुरंत कहा, “तुम यहीं रुको, मैं महल से कंबल लाकर तुम्हें देता हूँ।”
बूढ़ा आदमी राजा की बात सुनकर बहुत खुश हो गया, उसके चेहरे पर उम्मीद की रौशनी चमक उठी। राजा महल चला गया, लेकिन महल में जाकर वह बूढ़े आदमी को कंबल देने की बात भूल गया। अगली सुबह जब राजा महल से बाहर आया, तो उसने देखा कि महल के बाहर लोगों की भीड़ जमा थी। जब राजा ने सैनिकों से पूछा, “यह भीड़ क्यों है?” तो सैनिक ने बताया, “महाराज, महल से थोड़ी दूर पर एक बूढ़े आदमी की लाश मिली है।”
यह सुनकर राजा का दिल बैठ गया। वह तेजी से उस स्थान पर पहुंचा, जहां वह बूढ़ा आदमी पड़ा था। यह वही बूढ़ा था जिसे राजा ने रात में कंबल लाने का वादा किया था। राजा को अपने भूल पर गहरा पछतावा हुआ, उसकी आँखों में आँसू आ गए। जब राजा बूढ़े आदमी के पास और करीब गया, तो उसने देखा कि बूढ़े ने रेत पर कुछ लिखा था:
“इतने सालों से मैं बिना कंबल के इस ठंड को झेलता आ रहा था। मेरे पास कंबल नहीं था, पर मेरी मानसिक शक्ति थी जो मुझे बचाए रखती थी। लेकिन, तुम्हारे कंबल लाने की आस ने मेरी मानसिक शक्ति को खत्म कर दिया।”
राजा यह पढ़कर और भी टूट गया। उसे एहसास हुआ कि उम्मीद और मानसिकता का कितना बड़ा प्रभाव होता है। इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि जीवन में मानसिकता ही सब कुछ है। अगर आप खुद पर विश्वास नहीं करेंगे, तो आप सफल नहीं हो सकते। बूढ़े आदमी की मानसिक शक्ति तब तक मजबूत थी जब तक उसे कोई उम्मीद नहीं थी। जैसे ही उम्मीद ने उसके मन में जगह बनाई, उसकी शक्ति खत्म हो गई।
इसलिए, हमें अपनी मानसिकता को हमेशा मजबूत रखना चाहिए और अपने मन को यह विश्वास दिलाना चाहिए कि हम जो ठान लें, उसे कर सकते हैं।